2014 की वो सियासी घटनाएं जो हमेशा याद रहेंगी
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। चालू साल उन बहुत सी राजनीतिक घटनाओं के लिए याद रखा जाएगा जिनसे देश की राजनीति प्रभावित हुई। इस क्रम में अरविंद केजरीवाल का दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे को सबसे अहम घटना माना जा सकता है।
अब वे अपने फैसले पर अफसोस जताते हैं, पर जनता उन्हें माफ करने के मूड में नहीं दिखती। हालांकि देखना होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में राजधानी की जनता उन्हें माफ करती है या नहीं। पर इतना तो माना जा सकता है कि उनके मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से उनको लेकर देशभर जो सकारात्मक माहौल बना था, वह धूल में मिल गया।
मांझी का सीएम बनना
जीतन राम मांझी का बिहार का मुख्यमंत्री बनना भी कोई छोटी बात नहीं है। उनका मुख्यमंत्री बनना साबित करता है कि भारत का लोकतंत्र समाज के सबसे पिछड़ें इंसान को शिखर पर पहुंचने का मौका देता है। उनके पिता रामजीत राम मांझी खेतिहर मजदूर थे।
माझी ने गया महाविद्यालय से स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की। वो महादलित मुसहर समुदाय से हैं। मांझी ने नौकरी छोड़ने के बाद राजनीति में कदम रखा और विधायक चुने गये। वे बिहार के मंत्री भी रहे। वे जब से मुख्यमंत्री बने हैं उन्होंने अपने बयानों से सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा है।
भाजपा-शिव सेना तकरार
हालांकि अब तो महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना की सरकार चल रही है, पर विधान सभा चुनावों में सीटों के बंटवारे के सवाल पर दोनों दलों में काफी आक्रामक बयानबाजी हुई। दोनों दलों के नेताओं ने एक-दूसरे पर टुच्चे बयान लगाए। विधानसभा चुनावों के बाद भी दोनों दलों में खटपट चलती रही। पहले तो शिवसेना सरकार में भी शामिल नहीं हुई। पर, बाद में शिवसेना शामिल हो गई महाराष्ट्र सरकार में। पर इन दोनों के बीच जिस तरह से बयानबाजी होती रही, उससे कोई बहुत बेहतर संदेश नहीं गया।
ईरानी को अहम विभाग
साल की अहम राजनीतिक घटनाओं में स्मृति ईरानी का मानव संसाधन विकास मंत्री बनना भी रहा। किसी को उम्मीद नहीं थी कि राजनीति की दुनिया के इस युवा चेहरे को इतना अहम रोल मिल जाएगा। हां, अब उन्हें साबित करना होगा कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो जिम्मेदारी और विभाग सौंपा उसकी वह पात्र हैं। चुनौती कठिन है, पर स्मृति में कुछ कर दिखाने का जज्बा तो है।
जयललिता का खत्म करियर
बंगलौर की एक विशेष अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता को दोषी क़रार दिया। जिसके बाद उन्हें अपने पद को छोड़ना पड़ा। बेशक, यह साल की बेहद अहम राजनीतिक घटना रही। 1996 के इस मामले में जयललिता दोषी करार दिया गया। जयललिता के ऊपर 18 साल पहले आय से अधिक संपत्ति के मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई थी। इस केस के फैसले ने उनका राजनीतिक करियर खत्म कर दिया है।
हरियाणा का पंजाबी सीएम
गैर-जाट होने के बावजूद हरिय़ाणा का मुख्यमंत्री बनना कोई सामान्य बात नहीं है। इस लिहाज से मनोहर लाल खट्टर का हरियाणा का मुख्यमंत्री बनना अहम है। खट्टर की ख्याति भाजपा में एक ऐसे व्यक्ति की है जो हर काम पूरी लगन से करते हैं। आरएसएस के प्रचारक मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में भाजपा की पहली सरकार का मुख्यमंत्री बनने से पहले 40 साल तक संगठन की जड़ों को मजबूत बनाने के काम में लगे रहे। खट्टर डॉक्टर बनना चाहते थे। वह हरियाणा के पहले पंजाबी मुख्यमंत्री और 18 वर्ष बाद इस पद पर विराजमान होने वाले पहले गैर जाट नेता हैं।