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Positive India: मेड इन से 'मेक इन इंडिया'

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अंकुर शर्मा

सीनियर सब-एडिटर, वनइंडिया
लेखक परिचय- मैं वनइंडिया में सीनियर सब-एडिटर के रूप में कार्यरत हूं। मैं बेहद सकारात्मक यानी पॉजिटिव सोच रखती हूं ओर उसी सोच से मैं अपने भारत को देखती हूं। इस कॉलम Positive India में मेरा लक्ष्य है अपने पाठकों के सामने एक सकारात्मक भारत की तस्वीर पेश करना। यह एक छोटा सा कदम है लोगों में सकारात्मक ऊर्जा को प्रवाहित करने का।

[Positive India] एक जमाना था, जब चीन, जापान ने अपने हर उत्पाद पर मेड इन चाइना या मेड इन जापान लिखना शुरू किया, फिर भारत ने भी यही चलन शुरू कर दिया। सच पूछिए तो वह नकल थी जो भारत ने की, लेकिन "मेक इन इंडिया" किसी की नकल नहीं है। यह कॉन्सेप्ट बिलकुल अलग है, जो देश के करोड़ों लोगों को राजगार देने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम करेगा। आइये विस्तार से जानते हैं पॉजिटिव इंडिया की पॉजिटिव पहल के बारे में।

Make in India

सबसे पहली बात 'मेक इन इंडिया' प्लान पीएम नरेंद्र मोदी का नहीं बल्कि देश की 125 करोड़ जनता का है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि यह अकेला प्लान देश की आधी गरीबी दूर कर सकता है। तीसरी बात यह देश को एक अलग पहचान देता है।

क्या है 'मेक इन इंडिया'?

'मेक इन इंडिया' यानी कि 'भारत में निर्माण' ... नाम से ही स्पष्ट है कि इस स्कीम के जरिए भारत में लोगों को निवेश करने के लिए कंपनियों को आमंत्रित करना है, जिससे कि फैक्ट्रियों, कंपनियों के तहत भारतीयों को रोजगार मुहैया होंगे। एफडीआई के माध्यम से यह इनवेस्ट रीयल स्टेट, आईटी सेक्टर, मेकिडकल सेक्टर, रिटेल सेक्टर, आदि किसी में भी हो सकता है।

क्या है 'मेक इन इंडिया' का मकसद?

पीएम मोदी ने हमेशा अपने भाषण में कहा है कि वो एक गुजराती हैं और गुजरात का आदमी केवल व्यापार करना जानता है, जो अपने मेहनत और बुद्धि कौशल के दमपर एक रुपये को दस रुपये में बदल सकता है। इसी सोच के तहत देश को वैश्विक विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) का गढ़ बनना चाहते हैं।

मोटे उदाहऱण के तौर पर आप समझ सकते हैं कि बाहर की कोई बड़ी कंपनी अगर भारत की जमीन पर आकर कंपनी खोलती है तो पैसा उसका होगा, लेकिन जगह हमारी होगी, जिसके कारण काम करने वाले भी हमारे लोग होंगे, हमारे लोगों को नौकरी मिलेगी। भले ही मुनाफा उस बाहर वाली कंपनी का होगा लेकिन मार्केट और वैल्यू हमारे देश और हमारे देश के लोगों को होगी। इसके तहत सरकार की मंशा बस एक वृहद स्तर पर रोजगार का सृजन करके बेरोजगारी की समस्या का अंत करना है और साथ ही व्यापार और आर्थिक वृद्धि को सुगमता से विकास के पथ पर आगे बढ़ाना है।

Positive India

नुकसान की जगह नहीं

इस अभियान के तहत किसी का पैसा डूबेगा नहीं, विदेशी पूंजी निवेश यानी FDI के 'first devlop india'में परिवर्तित कर दिया है, यानी कि कोई भी इन्वेस्टर पैसा लगाने से पहले यह चीज ध्यान में रखे कि उद्यम से होने वाले फायदा पहला हिस्सा भारत के लिए खर्चा होगा ना कि उसकी जेब में जायेगा। आप पैसे कमाइये लेकिन वो पैसा केवल आपका नहीं बल्कि भारतवासियों के हित के लिए होना चाहिए।

भारत को कैसे होगा फायदा?

  • 'मेक इन इंडिया' से देश में रोजगार की बहुतायत होगी और यह रोजगार हर वर्ग और हर श्रेणी के लिए होगी।
  • सरकार PPP Model(पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के तहत काम करना चाहती है मतलब कि वो आमदनी और उत्पादन दोनों को बढ़ाना चाहती है।
  • इस प्रोग्राम के तहत भारतीय कारोबार को ग्लोबल होने में मदद मिलेगी जिसका सीधा फायदा भारतीयों को होगा।
  • इस कार्यक्रम के तहत इंसान के अंदर आत्मविश्वास और संतुष्टी की भावना आयेगी जो प्रगति का घोतक है।
  • इस प्रोग्राम के तहत देश का बुनियादी ढांचा को दुरुस्त होगा, जिससे देश के मिडिल क्लास को भी बल मिलेगा।
  • भारतीय आर्थिक रूप से मजबूत और सुरक्षित हो जायेंगे।
  • इस प्रोग्राम के जरिये आटोमोबाइल्स से एग्रो प्रोडक्ट्स, हार्ड वेयर से साफ्टवेयर, सेटेलाइट्स से सबमरीन्स, टेलीविजन्स से टेलीकाम, फार्मा से बायोटेक, पेपर से पावरप्लांट्स, रोड से बिजनेस, हाउसेस से स्मार्ट सिटीज, फ्रेंडशिप से पार्टनरशिप,प्रॉफिट से प्रोग्रेस जैसी चीजें बनेंगी।
    भारत आर्थिक और अंदरूनी रूप से ताकतवर बनेगा क्योंकि इसके जरिये देश में 3 डी यानी (डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी और डिमांड) की शुरूआत होगी।
  • देश के केन्द्र और राज्यों के बीच की दूरियां खत्म होगीं और पूरा मंडल एक हो जायेगा।
  • GDP ग्रोथ और tax revenue भी बढ़ेगा।
  • हाथ में पैसा होगा तो हर तन पर कपड़ा और हर पेट में भोजना होगा।

क्या हैं रुकावटें?

  • राज्य की सरकारों के सामने मोदी सरकार को अपनी पारदर्शी सोच को स्पष्ट करना होगा।
  • राज्य सरकारें अपने बारे में ना सोचकर देशहित में कदम उठाने होंगे जिसके लिए उन्हें सत्ता से ऊपर उठकर सोचना होगा जो कि एक बेहद ही कठिन काम है।
  • सरकार को देश की जनता को भरोसा दिलाना होगा कि उनकी जमीनों पर लगने वाले कारोबार उनके ही हित में हैं, उनके अंदर अपनी चीजों को लेकर असुरक्षा की भावना नहीं होनी चाहिए।
  • बीच के दलालों और भ्ष्टाचारियों के लिए इस प्रोग्राम में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
  • केवल अधिकारों की नहीं बल्कि कर्तव्यों के बारे में भी मोदी सरकार को सोचना होगा।
  • उद्योगपतियों की भूमिका को स्पष्ट करना होगा, इसमें किसी का निजी फायदा नहीं होना चाहिए।
  • केवल एक उद्देश्य होना चाहिए कि देश और देशवासियों का विकास होना है, ताकि किसी को शिकायत का मौका ना मिले।

क्या देख रहा है पॉजिटीव इंडिया?

अगर सरकार की यह योजना क्रियान्वित होती है तो देश का कोई बच्चा देश के बाहर जाकर पैसे कमाने के बारे में नहीं सोचेगा, उसे वो सारी चीजें यहीं मिलेंगी जो कि विदेशों में होती है। अगर युवकों और युवतियों को रोजगार मिलेगा तो निश्चित रूप से क्राइम का ग्राफ गिरेगा। ग्लोबल लेवल पर भारत भी मजबूत होगा और उसकी पहचान भी ताकतवर राष्ट्र में बनेगी। कुटिर उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा।

कहते हैं ना घर वो ही मजबूत होता है जिस घर के हर बाशिंदे के पेट में भरपेट रोटी होती है, इसलिए अगर वाकई में बाहरी कंपनियां या उद्योगपति भारत में निवेश करते हैं और रोजगार मुहैया कराते हैं तो वो दिन दूर नहीं कि जब भारत के हर घर में चैन की नींद और सकून भरी सांसे होंगी।

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English summary
Make in India is an initiative program of the Government of India to encourage companies to manufacture their products in India. It was launched by Prime Minister Narendra Modi on 25 September 2014.
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