राजनांदगांव: 35 साल पुराने जर्जर स्कूल में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे, जहां पढ़कर निकले कई मंत्री व विधायक
डोंगरगढ़ ब्लॉक के सबसे बड़े गांव लाल बहादुर नगर के शासकीय स्कूलों में बच्चे डर के साए में शिक्षा अध्ययन करने मजबूर हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी इन जर्जर स्कूलों की मरम्मत व निर्माण का काम सिर्फ फाइलों में कर रहे हैं।
राजनांदगांव,06 अगस्त। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में डोंगरगढ़ ब्लॉक शासकीय स्कूलों में शिक्षण सत्र शुरू होने के बाद भी समस्याओं की भरमार है। डोंगरगढ़ ब्लॉक के सबसे बड़े गांव लालबहादुर नगर के शासकीय स्कूलों में बच्चे डर के साए में शिक्षा अध्ययन करने को मजबूर हैं। वहीं शिक्षा विभाग व पीडब्ल्यूडी के अधिकारी इन जर्जर स्कूलों की मरम्मत व निर्माण का काम सिर्फ फाइलों में कर रहे हैं। इस ब्लॉक के सबसे बड़े गांव लाल बहादुर नगर को तहसील बनाने की घोषणा कर दी गई लेकिन व्यवस्थाएं सुधारने का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है।
जर्जर
स्कूलों
में
पढ़ने
को
मजबूर
हैं
बच्चे
लालबहादुर
नगर
के
शासकीय
स्कूल
की
जिन
कक्षाओं
को
साढ़े
चार
साल
पहले
लोक
निर्माण
विभाग
(PWD
Rajnandgaon)
के
अधिकारियों
ने
जर्जर
बताकर
डिसमेंटल
करने
की
अनुशंसा
की
थी।
उसी
स्कूल
में
अब
भी
650
से
अधिक
बच्चे
पढ़ाई
कर
रहे
हैं।
किसी
दुर्घटना
की
आशंका
व
बिल्डिंग
के
जर्जर
हालत
को
देखते
हुए
बच्चों
को
दूसरे
स्कूल
के
अतिरिक्त
कमरों
में
बैठाकर
पढ़ाया
जा
रहा
है।
डोंगरगांव
विधानसभा
के
राजनीतिक
केंद्र
बिंदु
माने
जाने
वाले
एलबी
नगर
में
नई
बिल्डिंग
निर्माण
के
लिए
मुख्यमंत्री
भूपेश
बघेल
ने
अपने
दौरे
के
दौरान
घोषणा
भी
की
थी।
लेकिन
अब
तक
स्वीकृति
नहीं
हो
पाई
है।
लालबहादुर नगर के 35 साल पुराने भवन की छत से प्लास्टर गिर रहें हैं, दीवारों पर दरार व खिड़की-दरवाजे टूट गए हैं। ब्लॉक के सबसे बड़े ग्राम होने की वजह से सबसे अधिक बच्चे हायर सेकेंडरी स्कूल एलबी नगर में पढ़ रहे हैं। क्षेत्रीय विधायक दलेश्वर साहू भी निर्माण को लेकर सिर्फ आश्वासन ही दे रहे हैं। जिसके चलते कमरों को बंद करके दूसरे स्कूल स्टाफ खस्ताहाल बिल्डिंग के नीचे ही काम कर रहे हैं। साढ़े चार साल पहले डिसमेंटल करने की रिपोर्ट को जिम्मेदारों ने गंभीरता से नहीं लिया।
लैब
को
बनाया
क्लासरूम,
स्टूडेंट्स
प्रैक्टिकल
से
वंचित
स्कूल
प्रबंधन
को
स्कूल
के
छोटे-छोटे
अतिरिक्त
कमरों
में
क्लास
लगानी
पड़
रही
है।
नई
बिल्डिंग
बनने
के
इंतजार
में
प्रबंधन
व
शिक्षकों
ने
बच्चों
की
पढ़ाई
प्रभावित
न
हो
इसके
लिए
बैठक
व्यवस्था
बनाने
लैब
रूम
भी
हटा
दिए
हैं।
ताकि
पढ़ाई
नियमित
हो।
वहीं
लैब
हटने
से
प्रैक्टिकल
करने
से
साइंस
के
स्टूडेंट्स
वंचित
हो
रहे
हैं।
डोंगरगांव
विस
के
राजनीतिक
केंद्र
बिंदु
एलबी
नगर
स्कूल
की
यह
बिल्डिंग
साढ़े
35
वर्ष
पुरानी
हो
चुकी
है।
खस्ताहाल
हालत
को
देखते
हुए
पीडब्ल्यूडी
के
अफसरों
ने
डिस्मेंटल
करने
रिपोर्ट
दे
दी
थी।
पीडब्ल्यूडी
एसडीओ
ने
2017
में
बनाई
थी
रिपोर्ट
तत्कालीन
पीडब्ल्यूडी
एसडीओ
ने
2017
में
अपनी
रिपोर्ट
में
स्पष्ट
तौर
पर
लिखा
था
कि
स्कूल
बिल्डिंग
का
छज्जे
का
सरिया
पूरी
तरह
से
सड़
चुके
हैं।
जिस
वजह
से
जगह-जगह
में
प्लास्टर
व
कांक्रीट
गिरने
की
घटना
हो
चुकी
है।
खिड़की-दरवाजे
टूट
चुके
हैं।
दीवारों
पर
दरार,
प्लास्टर
व
फ्लोरिंग
क्षतिग्रस्त
हो
चुकी
है।
छत
व
छज्जों
की
कांक्रीट
की
स्ट्रेन्थ
खत्म
हो
चुकी
है।
इसलिए
पुरानी
बिल्डिंग
को
डिसमेंटल
कर
नई
निर्माण
की
जरूरत
है।
रिपोर्ट
देने
के
साढ़े
चार
साल
बाद
भी
बिल्डिंग
उसी
हालत
में
है।
स्कूल
से
पढ़कर
निकले
कई
मंत्री
और
विधायक
35
साल
पुरानी
बिल्डिंग
में
कई
ऐसे
व्यक्ति
पढ़कर
निकले
हैं
जो
आज
भी
राजनीतिक
पदों
में
है।
लेकिन
इसे
विडंबना
कहे
या
निष्क्रियता
कि
बच्चे
व
पालक
नई
बिल्डिंग
के
निर्माण
की
उम्मीद
लगाए
आज
तक
बैठे
हुए
हैं।
यहां
से
पूर्व
विधायक
हीराराम
वर्मा,
पूर्व
विधायक
खेदूराम
साहू,
पूर्व
जिला
पंचायत
अध्यक्ष
भरत
वर्मा,
पूर्व
जिला
पंचायत
सदस्य
सोमेश्वर
वर्मा
सहित
कई
जनप्रतिनिधियों
ने
यहां
शिक्षा
अर्जित
की।
स्वीकृति
के
संबंध
में
आदेश
मिला
नहीं
पीडब्ल्यूडी
के
सब
इंजीनियर
जितेंद्र
भनारकर
ने
बताया
कि
एलबी
नगर
की
नई
स्कूल
बिल्डिंग
की
स्वीकृति
के
संबंध
में
किसी
तरह
का
विभागीय
आदेश
तो
नहीं
आया
है।
लेकिन
राशि
बजट
में
स्वीकृति
होने
की
जानकारी
मिली
है।