आप का ख्वाब छोड़ सिद्धू कर सकते हैं भाजपा में घर वापसी, जानिए वजह
दिल्ली। 'मैं न 'आप' का हूं न....का हूं, मैं तो सिर्फ अपने बाप का हूं'। बीते कुछ दिनों पहले कपिल शर्मा शो में नवजोत सिंह सिद्धू ने कपिल के मसखरे से सवाल पर जब यह जवाब दिया तो लोगों के दिल में यह जरूर आया कि सिद्धू आप में तो जाने से रहे। हालांकि कारण कोई भी हो। लेकिन अब कयास लगाया जा रहा है कि हो सकता है सिद्धू घर वापसी कर लें।
कहने का मतलब यह है कि सुबह का भूला शाम को घर लौटने की तैयारी कर रहा है...और पार्टी उन्हें भूला समझने के मूड में नहीं। जी हां, अंदरूनी सूत्रों के इतर जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं उससे यही स्पष्ट हो रहा है कि जल्द ही नवजोत सिंह सिद्धू फिर से भाजपा में वापसी कर सकते हैं।
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वेबसाइट में अब तक भाजपाई हैं सिद्धू
18 जुलाई को राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद भाजपा के लिहाज से यह एक बड़ा झटका माना जा रहा था। जिसके बाद लगातार इस बात की खबरें आ रहीं थी कि सिद्धू आम आदमी पार्टी का दामन थाम सकते हैं। जिसके लिए आम आदमी पार्टी की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू की तारीफों के पुल भी बांधे गए। पर, सिद्धू पूरी तरह से अभी भाजपा से मोहभंग नहीं कर पाए हैं। दरअसल उनकी वेबसाइट में सिद्धू अभी भी खुद को भाजपा नेता बता रहे हैं।
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पत्नी ने भी की भाजपा की तिरंगा यात्रा
क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे से पूर्व उनकी पत्नी नवजोत कौर ने भी सोशल मीडिया पर इस्तीफे की बात कहकर सनसनी मचा दी थी। लेकिन अगले ही दिन वे इन सभी बातों पर पर्दा डालकर उन्हें समेटती हुईं नजर आईं। नवजोत सिंह की विधायक पत्नी नवजोत कौर ने भाजपा द्वारा घोषित तिरंगा यात्रा में भी जोरशोर से हिस्सा लिया। जिससे साफ हो रहा है कि भाजपा में उन्हें अभी भी अपना भविष्य उज्जवल दिखाई दे रहा है। जिस वजह से वे पलायन नहीं कर पा रहीं।
आप ने तोड़ा भरोसा
सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री बनाने की मांग ठुकराए जाने के बाद से सिद्धू असमंजस की स्थिति में हैं। इसके इतर भाजपा का वरिष्ठ खेमा भी मानमनौव्वल करने के मूड में बिलकुल भी नजर नहीं आ रहा है। हालांकि इसके इतर भाजपा की रणनीति का सिद्धू इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि भाजपा नेतृत्व पंजाब में गठबंधन और सीटों के सवाल पर नवंबर महीने में राज्य इकाई के नेताओं के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू करने वाला है। वहीं राज्य के प्रभारी प्रभात झा का कहना है कि अब तो सिद्धू ही स्पष्ट कर पाएंगे कि वे भाजपा में हैं भी या नहीं। सिद्धू ने प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष से बगैर पूछे इस्तीफा दे दिया था जिसकी वजह से उनका यह कदम अनुशासनहीनता भी माना जाएगा।
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राजनीतिक भविष्य की चिंता जायज
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा के साथ जुड़े रहे सिद्धू इस बात को परखने में लगे हैं कि अन्य पार्टियों में जाने से उनका भविष्य क्या है ? हां, इसीलिए उन्होंने आप में मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनने की मांग की थी कि कम से कम से वे लोगों पर अपना प्रभाव तो स्थापित रखने में कामयाब रह पाएंगे लेकिन आम आदमी पार्टी ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया। ऐसे में भाजपा में वापसी के आसार ज्यादा दिख रहे हैं। क्योंकि सिद्धू अच्छी तरह से जानते हैं कि कांग्रेस का मौजूदा अस्तित्व क्या है।