VIDEO: Kanker में भालुओं का आतंक, Jangal War College कैम्प में Female Bear भी अपने बच्चों को दे रही ट्रेनिंग
कांकेर,
02
अक्टूबर।
छत्तीसगढ़
में
हाथियों
के
बाद
अब
भालुओं
का
आतंक
देखने
को
मिल
रहा
है।
कांकेर
जिले
के
चारामा
में
भालू
अब
पहाड़,
जंगल
छोड़कर
गांवो
की
गलियों
में
घूम
कर
रहें
हैं।
इतना
ही
नहीं
इन
भालुओं
से
कांकेर
में
नक्सलियों
से
लड़ने
वाले
ट्रेनी
गोरिल्ला
कमांडो
भी
परेशान
हैं।
ये
भालू
अपने
बच्चों
के
साथ
मेस
के
आसपास
भटकते
नजर
आते
हैं।
तो
कभी
मेस
में
घुसकर
बर्तनों
में
भोजन
तलाशते
नजर
आते
हैं।
इस
बीच
एक
जवान
में
मादा
भालू
का
अपने
बच्चों
के
साथ
एक
वीडियो
बनाया
जो
सोशल
मीडिया
में
वायरल
हो
रहा
है।
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ट्रेनी जवानों के मेस, ऑफिस तक पहुंच रहे भालू
छत्तीसगड़ के चारामा में गुरिल्ला कमांडो की ट्रेनिंग के लिए बनाए गए सबसे बड़े ट्रेंनिग सेंटर Counter Terrorism and Jungle Warfare College के जवान इन दिनों भालुओं से परेशान हैं। CTJW के कैम्पस में भालुओं ने यहां आतंक बढ़ता जा रहा है। क्योंकि जंगलों से निकलकर भालू अब इस कैंपस के जंगलवार कॉलेज की बिल्डिंगों में घुस रहे है। भालूओं ने कॉलेज मेस, किचन, बिल्डिंग, ऑफिस हर जगह भालू कभी भी पहुंच रहें हैं। जवानों का मेस में खाना पीना भी हराम हो गया है। भालू यहां पहुंचकर रसोई के बर्तन में भोजन ढूंढते नजर आते हैं। तो कभी भालू जवानो पर आक्रामक हो जाते हैं। भालुओं के साथ ही यहां तेंदुआ और लकड़बघ्घा जैसे खूंखार जंगली जानवरो को विचरण करते देखा गया है।
मादा भालू भी बच्चो को दे रही ट्रेंनिग, वीडियो हो रहा वायरल
कांकेर के चारामा स्थित गुरिल्ला वार ट्रेनिंग सेंटर में नक्सलियों से लड़ने जवान तो ट्रेनिंग कर ही रहे हैं। इसके साथ ही अब भालू भी यहां अपने बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। यह वीडियो जंगलवार कॉलेज के एक जवान ने बनाया है। जिसमें मादा भालू अपने बच्चों को पेड़ में चढ़ने की ट्रेनिंग दे रही है। इस वीडियो में वह उन्हें पेड़ के करीब लाकर पेड़ में चढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
नक्सल ऑपरेशन के लिए गोरिल्ला कमांडो की होती है ट्रेनिंग
केन्द्र सरकार ने जंगलों में काउंटर नक्सल ऑपरेशन के प्रशिक्षण के लिए साल 2005 में जंगल वारफेयर कॉलेज की शुरुआत की थी। इस दौरान इसके आसपास एक किलोमीटर की पहाड़ी और जंगल को घेरकर ट्रेनिंग कैम्प का निर्माण किया गया था। इस कॉलेज में जवानो को नक्सलियों के खिलाफ काउंटर इमरजेंसी ऑफ जंलग वॉरफेयर की ट्रेनिंग दी जाती है। जंगलों में रहकर किये जाने वाले गुरिल्ला कमांडो की ट्रेनिंग को सबसे मुश्किल ट्रेनिंग माना जाता है। नक्सलियों से लड़ने गुरिल्ला युद्ध कला की ट्रेनिंग छत्तीसगढ़ पुलिस, इसके बाद बिहार, ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र, केरला पुलिस के अलावा सीआरपीफ, बीएसएफ और आईटीबीपी के जवान, देश के सबसे स्पेशल सुरक्षा संस्था एनएसजी को भी स्पेशल ट्रेनिंग दी गई। अब तक 35 हजार जवानों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। गुरिल्ला कमांडो को जंगलों के अनुकूल अटैक और दुश्मन को खत्म करने की ट्रेनिंग दी जाती है। लेकिन अब यहां भालुओं ने डेरा जमा लिया है।
कांकेर में भालू के हमले से युवक की हुई थी मौत
इतना ही नहीं भालुओं ने कुछ दिन पहले कांकेर के चारामा वन परिक्षेत्र अंतर्गत तारासगांव में घर की बॉडी में खेल रहे एक 9 साल के बच्चे पर हमला कर दिया,भालू के हमले से 9 साल का बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया था। भालू के हमले से बुरी तरीके से घायल हो गया। घायल बच्चे को रायपुर एम्स में रिफर किया गया था जिसकी 2 दिन बाद मृत्यु हो गई थी।
जामवंत परियोजना ने बढाई ग्रामीणों की परेशानी
चारमा के गांव और शहर में भालुओं की आमद ग्रामीणों के लिए मुसीबत बना हुआ है। भालू जंगल छोड़ इंसानी बस्तियों का रुख करने लगें हैं। भालू और और उनका परिवार शहर में कभी भी, कहीं भी दिखाई दे रहा हैं। वन विभाग ने जामवंत परियोजना के तहत शिव नगर से ठेलकाबोड़ तक विस्तृत पहाड़ी को भालुओं के आवास के रूप में विकसित किया था। लेकिन रिहायसी इलाके के समीप भालूओं का बसेरा बनाना, आसपास के ग्रामीणों के लिए मुसीबत का कारण बन गया है।
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