CG: हाथी - मानव संहर्ष के बीच मनाया "विश्व हाथी दिवस", फूलों से सजाकर खिलाया हलुआ, कटहल और केला
छत्तीसगढ़ में हाथियों और मानव के बीच संघर्ष जारी है। इस बीच प्रशासन हाथियों के संरक्षण व उनके पुनर्वास के लिए अभियान भी चला रहा है। इस साल विश्व हाथी दिवस पर सूरजपुर स्थित तमोर पिंगला अभ्यारण्य रमकोल
सूरजपुर, 14 अगस्त। छत्तीसगढ़ में हाथियों और मानव के बीच संघर्ष जारी है। इस बीच प्रशासन हाथियों के संरक्षण व उनके पुनर्वास के लिए अभियान भी चला रहा है। इस साल विश्व हाथी दिवस( World Elephant Day) पर सूरजपुर स्थित तमोर पिंगला अभ्यारण्य रमकोला के हाथी राहत और पुनर्वास केंद्र में हाथियों को फूलों से सजाकर उनकी पूजा अर्चना की गई। इसके साथ उपस्थित जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने हाथी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण, शिक्षक व विद्यार्थी मिलकर जंगली हाथियों के प्रबंधन में सहयोग प्रदान करने की अपील की।
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हाथियों
की
विशेष
पूजा,
खिलाया
कटहल
और
हलुआ
इस
कार्यक्रम
में
लोगों
को
हाथियों
के
संरक्षण
में
महत्वपूर्ण
भूमिका
के
विषय
में
बताया
गया।
रमकोला
हाथी
कैंप
के
हाथियों
को
आकर्षक
रूप
से
फूलों
से
सजाया
गया
इनके
महावतों
और
चारा
काटने
वालो
द्वारा
इन्हें
खास
तौर
पर
तैयार
किया
गया।
कैंप
में
हाथियों
का
पसंदीदा
भोजन
हलवा
तैयार
किया
गया
था।
कैंप
के
हाथियों
की
विशेष
पूजा-अर्चना
की
गई।
हाथियों
को
जंगलों
में
रोकने
का
हो
रहा
प्रयास
इस
मौके
पर
उप
निदेशक
एलीफेंट
रिजर्व
सेंटर
सरगुजा
के
प्रभाकर
खलखो
ने
विश्व
हाथी
दिवस
मनाने
का
उद्देश्य
बताते
हुए
कहा
कि
ऐसे
कार्यक्रमो
के
द्वारा
हम
लोगों
में
हाथियों
के
संरक्षण
के
प्रति
चेतना
जागृत
करना
चाहतें
है।
उन्होंने
कहा
कि
हाथी
जंगल
का
विशाल
जानवर
है,
जिस
कारण
उसे
सबसे
अधिक
भोजन
व
पानी
की
अधिक
जरूरत
होती
है।
उसी
की
तलाश
में
वे
आबादी
क्षेत्र
की
ओर
प्रवेश
करते
है।
पर
अब
जंगल
के
अंदर
ही
रहवास
विकास
का
कार्य
हो
रहा
है,
जिससे
हाथियों
के
दल
को
जंगल
के
अंदर
ही
सीमित
किया
जा
सके
और
बाहर
किसी
भी
प्रकार
की
ग्रामीणों
को
नुकसान
का
सामना
ना
करना
पड़े।
इस मौके पर एलीफेंट रिजर्व सेंटर के उपनिदेशक ने कहा कि आज बढ़ती जनसंख्या के कारण जंगल काटे जा रहे हैं। इन जंगलों में रहने वाले प्राणी अब शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। इसके चलते हमें कई तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल हाथी और मानव के बीच संघर्ष के कारण हम स्वयं हैं। यदि जंगलों में उन्हें पर्याप्त भोजन उपलब्ध होगा। तो वे शहरों की ओर नहीं आएंगे। वहीं अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए किए जा रहे जंगलों का विनाश हमें रोकना होगा।
छत्तीसगढ़ के 10 जिले हाथियों से प्रभावित
छत्तीसगढ़ के शहरी जिलों को छोड़कर अन्य राज्यों की सीमा और जंगल से लगे जिलों में हाथियों का आतंक देखने को मिल रहा है। इससे निपटने सरकार द्वारा कई प्रयास भी किए जा रहे हैं। इसके लिए अन्य राज्यों के ट्रेंड हाथियों की भी व्यवस्था की गई। लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पाई राजनांदगांव बालोद कवर्धा सरगुजा मानपुर मोहला जैसे जिलों में इन दिनों हाथियों ने गांव में घुसकर कई ग्रामीणों को कुचल दिया है। लगभग 20 से अधिक ग्रामीण हाथियों की चपेट में आए हैं। वहीं कई घरों व फसलों को भी हाथियों ने नुकसान पहुंचाया है। हाथियों से प्रभावित लोगों को सरकार मुआवजा भी दे रही है। वन विभाग द्वारा लगातार इन पर निगरानी भी रखी जा रही है।
हाथियों
के
संरक्षण
में
हम
सबको
निभानी
होगी
भूमिका
कार्यक्रम
में
मुख्य
अतिथि
जिला
पंचायत
अध्यक्ष
प्रतिनिधि
शिवभजन
मरावी
ने
हाथियों
का
संरक्षण
करने
प्रेरित
किया।
मरावी
ने
कहा
हाथी
शांत
और
विशालकाय
प्राणी
होता
है।
हम
अगर
उसके
साथ
शांति
के
साथ
रहेगें
तो
हाथियों
का
भी
व्यवहार
शांत
रहेगा।
हम
सभी
को
उसे
उकसाना
या
खदेड़कर
आक्रोशित
नहीं
करना
चाहिए।
छत्तीसगढ़
के
हाथी
प्रभावित
क्षेत्रों
में
सरकार
अब
उन्हें
संरक्षित
करने
का
प्रयास
कर
रही
है।
वही
जंगलों
में
उनके
लिए
पर्याप्त
भोजन
व
पानी
की
व्यवस्था
के
भी
उपाय
किए
जा
रहे
हैं।
जिससे
उन्हें
रहवासी
क्षेत्रों
में
आने
से
रोका
जा
सके।
हाथी
गणेश
भगवान
का
प्रतीक
है,
और
हिन्दु
धर्म
में
पूजित
है।
हम
सभी
मिलकर
हाथियों
के
लिए
अच्छा
विचार
रखें
और
ग्रामीण
क्षेत्रों
में
उसके
संरक्षण
के
प्रति
प्रेरित
करें।
हमारा
सरगुजा
पहले
से
हाथियों
का
समृद्ध
रहवास
रहा
है।