8 महीने की गर्भवती नर्स लोगों का कर रही थी इलाज लेकिन खुद को नहीं मिला वेंटिलेटर, हो गई मौत
बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में कोरोना संक्रमण के चलते प्रेग्नेंट नर्स की मौत हो गई। वहीं मृतक के परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है। नर्स के परिजनों का कहना है कि 8 महीने की गर्भवती होने के बावजूद भी उसकी ड्यूटी लगा दी गई थी। उन्हें अवकाश नहीं मिला। साजा ब्लॉक की मृतक नर्स का नाम दुलारी ढीमर था। वह परपोड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम के तौर पर तैनात थीं। दुलारी की तीन साल की बेटी भी है। दुलारी की ड्यूटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परपोड़ी में थी, जहां कोरोना के मरीजों का भी आना-जाना लगा था।
इसके चलते वह संक्रमित हो गई। बीते 17 अप्रैल को उन्होंने टेस्ट कराया तो उनका रिपोर्ट पॉजिटिव आया था। एक दिन बाद बुखार आने पर दुलारी को बेमेतरा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गर्भवती होने के चलते दो दिन के भीतर ही उनकी और तबीयत खराब होने लगी। चिकित्सकों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन का इंतजाम करने को कहा।
मृतक नर्स दुलारी के जेठ ने बताया कि बेमेतरा और दुर्ग के सभी मेडिकल स्टोर पर इंजेक्शन नहीं मिली। बहुत ही मुश्किल से दो डोज ब्लैक में 15-15 हजार रुपये में खरीदा। इंजेक्शन लगने के दो दिन बाद फिर हालत खराब होने लगी। इसके बाद दुलारी को रायपुर एम्स ले जाया गया, लेकिन वहां वेंटिलेटर नहीं था। दो दिन के इंतजार के बाद बेड मिला। फिर 24 अप्रैल की सुबह 7 बजे एम्स के लिए रेफर किया गया पर एंबुलेंस को आने में 4 घंटे लग गए। रायपुर एम्स पहुंचने पर 1 बज गया। और इलाज शुरू हुई। लेकिन शाम को 5 बजे दुलारी की मौत हो गई।
दुलारी के जेठ ने कहा कि दुलारी को फ्रंटलाइन वर्कर होने के बाद भी कोई सुविधा नहीं मिली और न ही अभी तक शासन ने उसकी कोई सुध ली है। केंद्र सरकार की ओर से फ्रंटलाइन वर्कर बीमा का भी लाभ उसे नहीं मिला है।परिजनों ने बताया कि दुलारी ने मार्च में ही मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे आठ महीने के गर्भावस्था के दौरान भी अवकाश नहीं मिला। अप्रैल में भी उसने आवेदन किया। लेकिन उसे दरकिनार कर दिया गया, जिससे कारण गर्भवती मां और गर्भ में पल रहे आठ महीने के शिशु की मौत हो गई।