अगले साल से अलग पेश नहीं होगा रेल बजट, सरकार कर रही तैयारी
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने रेलवे बजट को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। अगले साल से रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश किया जाएगा, न कि अलग से। ब्रिटिश काल (1924) से चली आ रही इस प्रथा को अब केन्द्र सरकार ने खत्म करने का फैसला लिया है। सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वित्त मंत्रालय भी इसके लिए राजी हो गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने एक पांच सदस्यों की कमेटी का गठन किया है, जो रेल बजट को खत्म करके उसे आम बजट के साथ मिलाने की प्रक्रिया को अंजाम देगी। रेल बजट को खत्म करने की मांग नीति आयोग के दो सदस्यों बिबेक ओबेरॉय और किशोर देसाई की कमेटी की तरफ से दी गई थी, जिसके बाद केन्द्र सरकार ने भी इसे सही माना है।
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ऐसा नहीं है कि सिर्फ केन्द्र सरकार या वित्त मंत्रालय ही ऐसा चाहते हैं, बल्कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु का भी यही सोचना है कि रेल बजट को आम बजट के साथ मिला दिया जाना चाहिए। सुरेश प्रभु ने मंगलवार को राज्यसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली से भी देश के आर्थिक विकास और ट्रांसपोर्टरों को लंबे समय तक फायदा पहुंचाने के लिए रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाने की बात कही थी।
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एक बार अगर रेल बजट को आम बजट के साथ मिला दिया जाता है तो रेलवे को भी खर्च करने के लिए केन्द्र सरकार की तरफ से पैसे दिए जाएंगे, जैसे अन्य मंत्रालयों को दिए जाते हैं। साथ ही रेलवे की कमाई और उसके हर खर्चे पर वित्त मंत्रालय की नजर रहेगी। जब केन्द्र सरकार की तरफ से रेलवे को पैसे मिल जाएंगे तो वह अपने अलग-अलग कामों के लिए पैसों का बंटवारा अपने हिसाब से कर सकेगा।