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नोट बैन: नए नोट छापने में ही खर्च हो जा रहे है 10,861 करोड़ रुपए

आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक बाजार में नोटों की उपलब्‍धता पर्याप्‍त हो इसके लिए अधिक से अधिक नए 500-1000 रुपए के नोट छापे जा रहे हैं।

By Sachin Yadav
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नई दिल्‍ली। 8 नवंबर 2016 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500-1000 रुपए के पुराने नोट बंद करने का फैसला किया तो एक तरफ खुश होकर इस फैसले की तारीफ करने लगे तो दूसरी तरफ गुस्‍से में आकर इस फैसले की आलोचना भी कर रहे थे।

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सभी नए नोट छापने पर 10,861 करोड़ रुपए का खर्चा

वहीं दूसरी तरफ बाजार में रुपए की उपलब्‍धता बरकरार रखने के लिए व‍ित्‍त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक के माथापच्‍ची कर रहे थे। आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक बाजार में नोटों की उपलब्‍धता पर्याप्‍त हो इसके लिए अधिक से अधिक नए 500-2000 रुपए के नोट छापे जा रहे हैं। आरबीआई के मुताबिक इस समय सभी नए नोट छापने पर 10,861 करोड़ रुपए का खर्चा आ रहा है।

आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक 5, 10, 20, 50, 100 रुपए के नोट छापने में जहां 5,932 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। वहीं नए 500-1000 रुपए के नोट छापने पर सरकार को 4,929 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ रहा है।

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015-16 में 5 रुपए के 5,000 मिलियन नोट, 10 रुपए के नोट 30,000 मिलियन नोट, 20 रुपए के 3000 मिलियन नोट, 50 रुपए के 2500 मिलियन, 100 रुपए के 15,000 मिलियन नोट, 500 रुपए के 15,000 मिलियन नोट, 1000 रुपए के 5000 मिलियन नोट छापे थे।

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1000 रुपए का नोट छापने में आती थी 3.10 रुपए की लागत

नोट बंदी के फैसले के बाद जितनी तेजी से बैंकों में पुराने नोट जमा किए जा रहे हैं। उतनी ही तेजी से नए नोट प्रिटिंग होने के बाद बैंक पहुंच रहे हैं।

वर्ष 2012 के आंकडों के मुताबिक आरबीआई को 5 रुपए का नोट छापने पर 40 पैसे, 10 रुपए का नोट छापने पर 90 पैसे, 20 रुपए का नोट छापने पर 1.50 रुपए, 50 रुपए का नोट छापने पर 1.60 रुपए, 500 रुपए का नोट छापने पर 2.50 रुपए और 1000 रुपए का नोट छापने पर लागत 3.10 रुपए की लागत आती थी।

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96 लाख नोट पहले छापे गए

500 और 2000 रुपए के करीब 48-48 लाख नोट अगस्त-सितंबर के दौरान कर्नाटक के मैसूर में हुई थी। मैसूर में रिजर्व बैंक की भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड कंपनी की स्थापना की गई है, जिसमें स्विटजरलैंड का सहयोग लिया गया है। यहीं पर छपे थे ये सारे नोट।

जिस कागज पर नोटों की छपाई की गई है वह लंदन, इटली और जर्मनी से लाया गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार देवास, नासिक और पश्चिम बंगाल में स्थिति सालबोनी प्रिंटिंग प्रेस में अभी तक इन कागजों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। मैसूर में स्थित प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना स्विटरलैंड की डी ला रुई गियोरी (De La Rue Giori) की मदद से की गई है। कुछ अधिकारियों का कहना है कि सालबोनी में भी ऐसी सुविधा वाली प्रिंटिंग प्रेस विकसित की गई है, लेकिन उसकी स्थापना के लिए जापान की कोमोरी कॉरपोरेशन (Komori Corporation) की मदद ली गई है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि आने वाले दिनों में सरकार की अन्य प्रिंटिंग प्रेस में भी नोट छापने का काम शुरू हो जाएगा। आने वाले दिनों में मैसूर और मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में स्थित बैक नोट मिल करीब 70 फीसदी घरेलू मांग की पूर्ति कर सकेंगी। सरकार द्वारा यह फैसला कालेधन पर लगाम लगाने के लिए किया गया है। साथ ही, देश में फैले 500 और 1000 रुपए के नकली नोटों को भी इस फैसले से ठिकाने लगाया जा सकता है।

1000 rupee note

100 रुपए के नकली नोट कितने बढ़े?

भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त आंकड़ों के हिसाब से 2012-13 में 100 रुपए के नकली नोटों की संख्या करीब 1,08,225 थी, जो 2013-14 में बढ़कर 1,18,873 हो गई। यह आंकड़ा 2014-15 में 1,81,799 पर जा पहुंचा और आखिरकार 2015-16 में 100 रुपए के नकली नोटों की संख्या 2,21,446 हो गई।

500 रुपए के नकली नोट कितने बढ़े?

500 रुपए के नकली नोटों में भी पिछले सालों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। 2012-13 में 500 के नकली नोटों की संख्या 2,81,265, 2013-14 में यह संख्या 2,52,269, 2014-15 में यह संख्या 2,73,923 और 2015-16 में यह आंकड़ा 2,61,693 तक जा पहुंचा।

1000 रुपए के नकली नोट कितने बढ़े?

आपको बता दें कि 2012-13 में 1000 के 98,459 नकली नोट थे, जो 2013-14 में बढ़कर 1,10,035 हो गए। इस संख्या में 2014-15 में और बढ़ोत्तरी हुई और ये 1,31,190 हो गई। 2015-16 में नकली नोटों की कुल संख्या बढ़कर 1,43,099 पर जा पहुंची।

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English summary
printing cost of new note 10,861 crore and maitain currency flow
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