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आर्थिक पैकेज: एक्सपर्ट बोले- MSME सेक्टर वेंटिलेटर पर, ऑक्सीजन चाहिए ना कि दवा

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नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई ) को मजबूती के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के कोलैटरल फ्री ऑटोमैटिक लोन देने का ऐलान किया है। इस स्वचालित कर्ज सुविधा से 45 लाख इकाइयों को लाभ होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये जारी 'लॉकडाउन' के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिये 20 लाख करोड़ रुपये के प्रेत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। सरकार के इस ऐलान को फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (FISME) के प्रेसिडेंट अनिमेष सक्सेना ने ऊंट के मुंह में जीरा बताया। उन्होंने कहा कि यह ऐलान में केवल बनावटी और बहुत छोटा है। इससे MSME सेक्टर को कोई राहत नहीं मिलने वाली है।

लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर उद्योग वेंटिलेटर पर

लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर उद्योग वेंटिलेटर पर

अनिमेष सक्सेना ने कहा कि, मौजूदा ऐलान से एमएसएमई को उबारा नहीं जा सकता है। उन्होंने मेडिकल टर्म में उदाहरण देते हुए कहा कि लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर उद्योग वेंटिलेटर पर है और उसे मेडिसिन नहीं, ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत है। ज्यादातर एमएसएमई को वेंटीलेटर की जरूरत है। अगर अभी एमएसएमई को सपोर्ट नहीं किया गया तो अगले 3-4 महीने में और बुरी स्थिति हो जाएगी। उन्होंने सरकार द्वारा पीएफ कंट्रीब्यूशन को नाकाफी बताया। इसका फायदा केवल उन कंपनियों को मिल रहा है, जिनके पास 100 से कम कर्मचारी हैं और 90 फीसदी कर्मचारी की सैलरी 15,000 रुपये से कम है। जिन कंपनियों में 100 से ज्यादा कर्मचारी है उन्हें कोई फायदा नहीं हो रहा है।

 यह मोदी सरकार के भारत को बदलने का निर्णायक पल

यह मोदी सरकार के भारत को बदलने का निर्णायक पल

20 लाख करोड़ के पैकेज पर बोलते हुए उद्योगपति गौतम अडानी ने लिखा कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज इतने बड़ा पैकेज होने के नाते न सिर्फ ऐतिहासिक है बल्कि इसमें अपने आप में विविधता है क्योंकि इसमें लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ पर ध्यान दिया गया है। इसमें समाज के हर तबके के लिए कुछ न कुछ है। यह पीएम मोदी और मोदी सरकार के भारत को बदलने का निर्णायक पल है। वहीं कारोबारी आनंद महिंद्रा ने ट्वीट कर लिखा कि, 'यह पीएम मोदी का कार्पे डिएम (सीज़ द डे) भाषण था। यह एक ऐसा मौका है जिसमें कहानी का रुख मोड़ सकते हैं। इस अवसर को हम अपनी ताकत की कहानी बना सकते हैं। उन्होंने लिखा, 'हमे बाद में पता चलेगा कि यह 1991 जैसा सबकुछ बदल देने वाला पल है कि नहीं। मुझे विश्वास है कि आज रात मुझे नींद नहीं आएगी।

कैश के संकट में फंसे MSME सेक्टर को लोन तौर पर नकदी मिल सकेगी

कैश के संकट में फंसे MSME सेक्टर को लोन तौर पर नकदी मिल सकेगी

हालांकि CRISIL रिसर्च की डायरेक्टर ईशा चौधरी ने पैकेज को लेकर कहा कि, 3 लाख करोड़ रुपये की गारंटी के जरिए कैश के संकट में फंसे MSME सेक्टर को लोन तौर पर नकदी मिल सकेगी। हालांकि इससे क्रेडिट कल्चर के खराब होने का भी रिस्क है। बैंकर्स के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है और इस तरह आपात राशि जारी करने से जोखिम बढ़ सकता है। अर्नेस्ट ऐंड यंग इंडिया के चीफ पॉलिसी एडवाइजर डीके श्रीवास्तव ने बिजनेस टुडे से बातचीत में कहा, ‘यह पैकेज मुख्य तौर पर क्रेडिट गारंटी के प्रावधानों पर आधारित है, जिसका सरकार के खजाने पर कम ही असर होगा। भविष्य में किसी तरह के डिफॉल्ट पर ही इसकी कोई कीमत चुकानी होगी। बिजली कंपनियों के लिए पैकेज की बात करें वहां भी डिफॉल्ट की स्थिति में बोझ राज्य सरकारों को ही वहन करना होगा।

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English summary
MSMEs is on ventilator and needed oxygen support and not medicine: Animesh Saxena
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