सैलरीड-पेंशनधारकों को बजट में बड़ी राहत देने के मूड में सरकार, जानिए क्या है प्रस्ताव
नई दिल्ली, 11 जनवरी। आने वाले बजट में केंद्र सरकार सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को राहत देने की तैयारी कर रही है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार आगामी बजट में सैलरीड और पेंशनधारी लोगों को स्टैंडर्स डिडक्शन लिमिट में 30-40 फीसदी की छूट देने की तैयारी कर रही है। हालांकि टैक्स स्लैब में किसी भी तरह के बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं है और यह पहले की ही भांति रहेगी। बता दें कि फिलहाल सैलरीड कर्मचारियों को 50 हजार रुपए तक की छूट कर में मिलती है। लेकिन कई उद्योग संगठनों ने सकार से अपील की है कि वह इस सीमा को बढ़ाएं, जिसके बाद सरकार इसपर विचार कर रही है।
30-35 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पर्सनल टैक्स को लेकर हमे कई तरह के सुझाव प्राप्त हुए हैं। इस साल हर किसी की जो एक मांग रही है वह यह है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाया जाए। खासकर कोरोना काल में लोगों का मेडिकल सेवाओं पर खर्चा काफी बढ़ा है। स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट को 30-35 फीसदी तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। हालांकि इसपर अंतिम फैसला बजट पूरी तरह से तैयार होने के बाद ही लिया जाएगा। इससे पहले आखिरी बार 2019 में इसकी सीमा को बढ़ाकर 50 हजार रुपए तक किया गया था।
अरुण जेटली ने की थी शुरुआत
हालांकि वित्त मंत्रालय इसपर अंतिम फैसला फाइनल अप्रूवल के बाद लेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि टोटल टैक्स कलेक्शन की स्थिति क्या है। बता दें कि जो करदाता नई टैक्स नीति का विकल्प चुनते हैं उन्हें किसी भी तरह की कोई छूट नहीं मिलती है। 2018 में सबसे पहले 40 हजार रुपए की छूट की शुरुआत वित्त मंत्रालय ने की थी। उस वक्त वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसकी शुरुआत की थी, जिसे बाद में वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 2019 में बढ़ाकर 50 हजार कर दिया था।
75 हजार तक किए जाने की मांग
दरअसल कोरोना महामारी के काल में कर्मचारियों का घर का खर्च काफी बढ़ा है, लोगों का बिजली का बिल, कम्युनिकेशन का खर्च आदि बढ़ा है, जिसकी वजह से लोग टैक्स में राहत की मांग कर रहे हैं। एनए शाह असोसिएट के पार्टनर अशोक शाह ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखे तो स्टैंडर्ड डिडक्शन बहुत कम है इसे कम से कम 75 हजार रुपए तक होना चाहिए। इसे रिवाइज किया जाना चाहिए और महंगाई के साथ जोड़ देना चाहिए। कई देशों में पहले से ही ऐसा हो रहा है।