कम हो सकते हैं सोने के दाम, आम बजट पर टिकी हैं निगाहें
नई दिल्ली। दुनिया में भारत दूसरा ऐसा देश है जहां सबसे अधिक गोल्ड का इस्तेमाल होता है, लेकिन 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट से पहले देशभर के तमाम सर्राफा व्यापारी उपभोक्ताओं को गोल्ड खरीदने पर छूट दे रहे हैं। दरअसल गोल्ड के विक्रेताओं को उम्मीद है कि सरकार ने बजट में गोल्ट पर आयात कर कम कर सकती है, जिसकी वजह से गोल्ड की खरीद पर दुकानदार छूट दे रहे हैं और अधिक गोल्ड खरीदने से बच रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर सरकरार गोल्ड पर आयात कर को कम करती है तो इसकी मांग बढ़ जाएगी, जिसकी वजह से गोल्ड की वैश्विक दामों में कमी आएगी, जोकि पिछले 17 महीनों से अपने शीर्ष पर है।
10 फीसदी है आयात कर
बुलियन यानि सोने की ईंट बेचने वाले व्यापारी काफी समय से तश्करी से निपटने के लिए गोल्ड पर आयात कर कम करने की मांग कर रहे हैं। पिछले वर्षों में गोल्ड की तस्करी भारत में काफी बढ़ गई है, इसकी बड़ी वजह यह है कि गोल्ड पर भारत में अगस्त 2013 से आयात कर 10 फीसदी है। करेंट अकाउंट डेफिसिट को कम करने के लिए सरकार ने गोल्ड पर आयात कर बढ़ाया था, लेकिन माना जा रहा है कि सरकार कल पेश होने वाले बजट में इसपर आयात को कम कर सकती है। इंडियन बुलियन ज्वेलेर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सौरभ गाडगिल का कहना है कि हमे अपेक्षा है कि सरकार 2-4 फीसदी गोल्ड पर आयात कर को कम कर सकती है।
तश्करी है बड़ी समस्या
गाडगिल ने कहा कि आयात पर अधिक होने की वजह से कालाबाजारी काफी बढ़ गई थी, ऐसे में गोल्ड की तस्करी और इसे गैर कानूनी रूप से बेचने से रोकने के लए इसपर लगने वाले आयात कर को कम करने की आवश्यकता है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के एक आंकलन के अनुसार वर्ष 2016 में तश्करी के जरिए 120 टन सोना भारत में आया है। तश्कर गोगल्ड को काफी कम कीमत पर लोगों को बेचते हैं, जिसकी वजह से घरेलू व्यापार को काफी नुकसान होता है और इसका नुकसान बैंक को भी उठाना पड़ता है। कोलकाता के जेजे गोल्ड हाउस के मालिक हर्शद अजमेरा का कहना है कि तश्कर 1-2 फीसदी कम कीमत पर गोल्ड बेचते हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते हैं क्योंकि हमे कर देना होता है।
सरकार को होता है नुकसान
इस हफ्ते तश्कर 7 डॉलर प्रति आउंस की छूट दे रहे हैं, जिसमे 10 फीसदी आयात कर भी शामिल है। तश्कर ये कम कीमतें जो लोगों को मुहैया कराते हैं इसकी वजह से आम व्यापारी को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। इस छूट की वजह से टैक्स बचाने के चक्कर में लोग इस गोल्ड को खरीदते हैं क्योंकि उन्हें 3 फीसदी जीएसटी भी नहीं देना होता है। एमएनसी बुलियन के डायरेक्टर दमन प्रकाश राठौर ने बताया कि इस तश्करी के चलते पहले तो सरकार को सीधे तौर पर 10 फीसदी के आयात कर का नुकसान होता है फिर उसके बाद जीएसटी का भी नुकसान होता है।
कम हो सकता है आयात कर
गौरतलब है कि भारत में 4 फीसदी से भी कम लोग इन्कम टैक्स भरते हैं, ऐसे में अधिकतर लोग अपना पैसा गलत तरीके से गोल्ड खरीदकर निवेश करते हैं। वित्त मंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने सोमवार को कहा था कि सरकार को गोल्ड के आयात व स्मगलिंग को लेकर बड़ा दायरा रखना होगा और उसे इस समस्या को गंभीरता से देखना होगा। बहरहाल जिस तरह से मुख्य आर्थिक सलाहकार ने यह बात कही है उसके बाद माना जा रहा है कि सरकार गोल्ड पर आयात कर को कम कर सकती है।