7th Pay Commission: बेसिक न्यूनतम वेतन 21,000 करने पर भी मोदी सरकार से इसलिए नाराज हैं कर्मचारी
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के कर्मचारी मानते हैं कि वह 7th Pay Commission यानी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से पहले ही अधिक खुश थे। अब जब बेसिक न्यूनतम वेतन में बढ़ोत्तरी तय हो गई है, तो सवाल यह उठता है कि क्या इससे केन्द्रीय कर्मचारियों को फायदा होगा। अधिकतर केन्द्रीय कर्मचारी अब तो यह भी मानने लगे हैं कि मोदी सरकार केन्द्रीय कर्मचारियों का हित नहीं चाहती है।
न्यूनतम वेतन ने सुधरेगी आर्थिक स्थिति?
कर्मचारियों में सातवें वेतन आयोग को लागू होने को लेकर कई तरह की परेशाानियां हैं। उनका मानना है कि इससे पहले ही उसकी स्थिति अधिक अच्छी थी। 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद सातवें वेतन आयोग के रूप में मिला फल उनके लिए हितकारी नहीं है। यह तय हो गया है कि मोदी सरकार अगले साल से केन्द्रीय कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 21,000 रुपए करेगी, लेकिन क्या इससे कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति में कोई सुधार होगा?
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ये है बड़ी दिक्कत
अधिकतर केन्द्रीय कर्मचारियों का मानना है कि बेसिस न्यूनतम वेतन में बढ़ोत्तरी से भी कर्मचारियों की स्थिति नहीं सुधरेगी। कुछ कर्मचारियों का तो यह भी कहना है कि वहह मोदी सरकार की पॉलिसी के पीड़ित हैं। इस साल केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतन में 14.27 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। कर्मचारी परेशान हैं क्योंकि इससे वह अपनी सामान्य जरूरतें भी सही से पूरी नहीं कर पा रहे हैं। सरकार बेसिक न्यूनतम वेतन को 18,000 रुपए से बढ़ाकर 21,000 रुपए करने जा रही है, लेकिन क्या इससे कोई फर्क पड़ेगा। अगर सरकार न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 26,000 रुपए कर देती है, तभी जाकर केन्द्रीय कर्मचारियों का आर्थिक बोझ कम होगा।
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नहीं मिलेगा एरियर
सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह वेतन तो बढ़ाएगी, लेकिन किसी को भी एरियर नहीं देगी। यह केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए एक बड़ी दिक्कत की वजह है। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि सरकार आखिर एरियर क्यों नहीं दे रही है। अगर सरकार एरियर दे देती है तो केन्द्रीय कर्मचारी बेसिक न्यूनतम वेतन 21,000 होने से भी खुश होंगे, लेकिन अगर सरकार एरियर नहीं देती है तो न्यूनतम वेतन 26,000 करने पर ही केन्द्रीय कर्मचारियों का बोझ कम होगा।