5जी नीलामी में आमने-सामने अंबानी और अडानी, जानिए कैसे अलग है दोनों की रणनीति
नई दिल्ली, 26 जुलाई। देश में 5जी के लिए आज स्पेक्ट्रम की नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह नीलामी ऑनलाइन हो रही है। यह नीलामी इसलिए भी काफी खास है क्योंकि इसमे पहली बार मुकेश अंबानी और गौतम अडानी आमने-सामने होंगे। देश के दो सबसे बड़े उद्योगपतियों के बीच होने वाली यह जंग काफी दिलचस्प होने वाली है। डिजिटल दौर में कौन सा उद्योगपति देश में राज करेगा इसका फैसला 5जी की नीलामी में होगा।
अडानी बनाम अंबानी
रिलायंस जियो ने ने नीलामी में सिक्योरिटी मनी 14000 करोड़ रुपए जमा कराई है, जोकि बाकी कंपनियों की तुलना में कई गुना अधिक है। वहीं अडानी ग्रुप की ओर से महज 100 करोड़ रुपए की सिक्योरिटी मनी डिपॉजिट कराई गई है। माना जा रहा है कि अडानी 5जी के जरिए देश में टेलीकॉम सेक्टर में कदम रखना चाहते हैं। बाकी की दो कंपनियों की बात करें तो भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया भी 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में हिस्सा ले रहे हैं।
1 ट्रिलियन तक पहुंच सकती है नीलामी
रिपोर्ट की मानें तो 5जी की नीलामी 1.1 ट्रिलियन रुपए तक पहुंच सकती है। हाल ही में अडानी ग्रुप ने रिलायंस ग्रुप को पीछे छोड़ा है और गौतम अडानी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। लोकल रेटिंग कंपनी आईसीआरए का कहना है कि अडानी ग्रुप 5जी नेटवर्क का स्पेक्ट्रम अपने प्राइवेट नेटवर्क को बेहतर करने के लिए चाहता है। वह अपने एयरपोर्ट, पोर्ट्स पर साइबर सिक्योरिटी को मजबूत करना चाहता है। उसका ग्राहकों को 5जी नेटवर्क की सुविधा पहुंचाने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है।
टेलीकॉम में जियो की क्रांति
तकरीबन 6 साल पहले रिलायंस जियो ने देश में अपनी शुरुआत की थी और रिलायंस ने जियो के जरिए एक बड़े मार्केट शेयर को अपने हिस्से में कर लिया था। जिस तरह से बेहद सस्ती दरों पर जियो ने लोगों को इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराई उसने टेलीकॉम सेक्टर में क्रांति लाने का काम किया। देश में जियो के आने से बड़ी डिजिटल क्रांति आई और अमेजन, वॉलमार्ट जैसी कंपनियां काफी तेजी से भारत में आगे बढ़ी।
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अलगप-अलग बैंडविथ के लिए नीलामी
5जी बैंड में अलग-अलग बैंडविथ की स्पीड के स्पेक्ट्रम की नीलामी होगी। आम ग्राहकों को 1-6 गीगाहर्ट्ज की बैंडविथ दी जाती है। जबकि बड़ी कंपनियों को यह 24 गीगाहर्टज की स्पीड तक की बैंडविथ मुहैया कराई जाती है। अडानी ग्रुप पहले ही कह चुकी है कि वह कंज्यूमर को इंटरनेट मुहैया कराने के क्षेत्र में नहीं उतरने जा रही है। लेकिन एयरपोर्ट सहित अन्य क्लोज सर्किट बिजनेस में इंटरनेट को मुहैया कराएगा। यही नहीं अडानी ग्रुप अगर स्पेक्ट्रम की नीलामी में जीत दर्ज करती है तो वह दूसरी कंपनियों को भी क्लोज इंटरनेट की सेवा मुहैया करा सकती है।