Lockdown: देश में सिर्फ 16 फीसदी मकान मालिकों ने ही किराया किया माफ
नई दिल्ली: देश में 17 मई तक लॉकडाउन का ऐलान किया गया है। इस लॉकडाउन से भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है। रियल स्टेट सेक्टर भी इस आर्थिक मंदी से अछूता नहीं है। लॉकडाउन की वजह से ना तो कोई प्रॉपर्टी खरीद पा रहा और ना ही कोई बेच पा रहा है। वहीं रियल स्टेट सेक्टर पर पड़ रहे प्रभाव को लेकर 99acres.com ने एक सर्वे किया है। जिसके मुताबिक लॉकडाउन में सिर्फ 16 प्रतिशत मकान मालिक ऐसे हैं, जिन्होंने सरकार के आदेश को मानते हुए किराया माफ किया है।
मामले में 99acres.com के चीफ बिजनेस ऑफिसर मनीष उपाध्याय ने बताया कि उनकी कंपनी ने 49,600 मकान मालिकों और ब्रोकर को लेकर एक सर्वे किया है। इस सर्वे के मुताबिक लॉकडाउन को देखते हुए देश में 44 प्रतिशत मकान मालिकों ने इस साल किराया नहीं बढ़ाया है, जबकि 41 प्रतिशत मकान मालिक ऐसे हैं , जिन्होंने किराया देने के लिए अपने किरायेदारों को अतिरिक्त समय दिया है। वहीं देश में सिर्फ 16 प्रतिशत मकान मालिक ऐसे हैं, जिन्होंने पूरा किराया माफ कर दिया है।
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सर्वे के मुताबिक सुस्त बाजार के बावजूद, 76% मालिक अभी भी अपनी संपत्ति किराए पर देना चाहते हैं, जबकि 24 प्रतिशत मालिकों ने किरायेदारों की खोज करना छोड़ दी है। इसमें 54 प्रतिशत मालिक ऐसे हैं जो किराए में गिरावट की उम्मीद करते हैं, जबकि 11 फीसदी मालिकों को अभी भी किराया बढ़ने की उम्मीद है। वहीं दूसरी ओर 57 प्रतिशत ब्रोकर्स ने आशंका जताई है कि लॉकडाउन के बाद रियल स्टेट में अचल संपत्ति की मांग में कमी आएगी।
क्या
था
सरकार
का
आदेश?
लॉकडाउन
के
बाद
से
देश
के
ज्यादातर
लोगों
के
सामने
आर्थिक
समस्या
खड़ी
हो
गई
थी।
इस
वजह
से
किराए
पर
रहने
वाले
लोग
भी
परेशान
थे।
जिस
पर
गृह
मंत्रालय
ने
29
मार्च
2020
को
इस
संबंध
में
आदेश
जारी
किया
था,
जिसके
मुताबिक
कोई
भी
मकान
मालिक
अपने
किरायेदार
चाहे
वो
मजदूर
हो
या
छात्र,
पर
किराए
का
दबाव
नहीं
डाल
सकता।
वहीं
इस
दौरान
ना
तो
किराया
बढ़ाया
जाएगा
और
ना
ही
जबरदस्ती
किरायेदार
से
घर
खाली
करवाया
जाएगा।
गृह
मंत्रालय
ने
साफ
किया
था
कि
इस
आदेश
को
नहीं
मानने
वालों
पर
कानूनी
कार्रवाई
की
जाएगी।