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'उजला सोना' के व्यापार से पति और पत्नी 2 साल में बन गए 30 करोड़ के मालिक, 600 लोगों को दे रहे रोज़गार

बिहार के मखाना को लोग उजला सोना की भी संज्ञा देते हैं, पूर्णिया के रहने वाले युवा उद्यमी ने मखाने के स्टार्टअप से दो साल में ही 30 करोड़ का टर्नओवर कर लिया है। इसके साथ ही कई युवाओं को रोज़गार भी दे रहे हैं।

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Ujla Sona Makhana Farming In Bihar, GI Tag Makhana Latest News Update

Makhana Farming: बिहार के मखाना को केंद्र सरकार की तरफ जीआई टेग मिलने के बाद से इसकी डिमांड काफी बढ़ गई है। बिहार का उजला सोना (मखाना) विदेशों में भी सप्लाई की जा रही है। पूर्णिया, सीमांचल और मिथिलांचल के मखाने की बाज़ारों में ज्यादा डिमांड है। आज हम आपको उजला सोना यानी मखाना की खेती से करोड़ों के मालिक बने पति और पत्नी की कहानी से रूबरू करवाने जा रहे हैं। पूर्णिया के उद्यमी ने कोरोना काल के दौरान विदेश की काफी अच्छी नौकरी छोड़ दी और अपने वतन वापस आ गए। उन दोनों ने बताया कि बिहार को एक अलग पहचान दिलाने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोज़गार दिलाना भी मकसद है। धीरे-धीरे उन्हें कामयाबी मिल रही है।

कई देशों में की जा रही है ऑर्गेनिक मखाने की सप्लाई

कई देशों में की जा रही है ऑर्गेनिक मखाने की सप्लाई

युवा उद्यमी लिली और उनके पति श्वेतांशु ने 2019 में मखाने के लिए स्टार्टअप तैयार किया और सिर्फ 2 साल में पूर्णिया में स्थापित की गई कंपनी का टर्नओवर 30 करोड़ तक पहुंचा दिया। पूर्णिया में उन्होंने ‘ऑर्गेनिक सत्वा' नाम से मखाने का स्टार्टप शुरू किया था। श्वेतांसु ने बताया कि 2 साल की मेहनत से कंपनी का टर्नओवर 30 करोड़ तक पहुंचा है। 600 लोगों को इस स्टार्टअप के ज़रिए रोज़गार भी मिला हुआ है। वहीं उन्होंने बताया कि पूर्णिया के ऑर्गेनिक मखाने की सप्लाई कई देशों में की जा रही है।

सिंगापुर, यूएसए, यूके में हो रही डिमांड

सिंगापुर, यूएसए, यूके में हो रही डिमांड

श्वेतांशु की पत्नी लीली झा ने बताया कि उन्होंने मैनेजमेंट कोर्स करके एक बड़ी कंपनी में जनरल मैनेजर की पद पर कार्यरत थीं। वहीं उनके पति श्वेतांशु आईटी सेक्टर में काफी अच्छी नौकरी कर रहे थे। दोनों ने जर्मनी की नौकरी छोड़ दी और पूर्णिया का रुख करते हुए मखाना की कंपनी खोली। लीली झा ने बताया कि 11 फ्लेवर में बनाए जा रहे मखाने को सिंगापुर, यूएसए, यूके जैसे कई मुल्कों में भेजा जा रहा है। इसके अलावा अपने देश में नामी ब्रांड्स भी उनके मखाने खरीद रही हैं।

स्थानीय लोगों को रोज़गार देने की कोशिश

स्थानीय लोगों को रोज़गार देने की कोशिश

लीली झा ने कहा की उनकी पहली ख्वाहिश थी कि कुछ ऐसी शुरुआत की जाए जिससे बिहार को एक अलग पहचान मिले, इसके साथ ही स्थानीय लोगों को रोज़गार मिले। उनकी यह तमन्ना धीरे-धीरे पूरी हो रही है, उनकी कंपनी महिला और पुरुष मिला कर करीब 600 लोगों को रोज़गार मिला हुआ है। वहीं लीली और श्वेतांशु के पार्टनर अमित ने कहा कि इनके साथ ऑर्गेनिक मखाना के स्टार्टअप शुरु करने का अनुभव काफी अच्छा रहा है।

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अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में भी हो रही सप्लाई

अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में भी हो रही सप्लाई

विदेशों में भी डिमांड बढ़ रही है। बाहर के कुछ लोग बिहार के इस उत्पाद को पहले कम दाम में में खरीद कर ज्यादे कीमत पर बेचते थे। अमित ने कहा कि अब हम लोग मखाने को यहीं से ख़रीद कर अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों के लिए तैयार करते हैं। विभिन्न फ्लेवर में पैक सप्लाई करते हैं। किसानों और मखाना फोड़ने वाले लोगों को भी इस कारोबार से अच्छा मुनाफा हो रहा है।

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Ujla Sona Makhana Farming In Bihar, GI Tag Makhana Latest News Update
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