बिहार में किसने बेच दी 50 साल पुराने अस्पताल की जमीन ? ऐसे खुली नीतीश सरकार की नींद
मुजफ्फरपुर, 25 अप्रैल: बिहार से कुछ दिन पहले खबर आई थी कि चोर 500 टन का लोहे का पुल ही चुरा कर ले गए। अब खुलासा हुआ है कि वहां साढ़े चार दशक पुराने एक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की खाली पड़ी जमीन ही बेच दी गई और भूमाफियाओं की नजर उस सरकारी अस्पताल पर भी थी, लेकिन उससे पहले ही इस घोटाले का पर्दाफाश हो गया। जानकारी के मुताबिक करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन फरवरी में ही बेच दी गई थी, लेकिन यह मामला अब जाकर सरकार की जानकारी में आया है। हर घटना की तरह इस बार भी नीतीश सरकार ने जांच के बाद कड़ी कार्रवाई की बात कही है।
बिहार में भू-माफिया ने बेची सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की जमीन
बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से लचर स्थिति में है। अब पता चला है कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की जमीन ही भूमाफियाओं ने बेच दी है। इस घटना के सामने आने के बाद सरकारी महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। सोमवार को राज्य सरकार की ओर से बताया गया है कि इस बात की जानकारी मिली है कि राज्य के मुजफ्फरपुर जिले में 50 साल पहले स्थापित एक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की जमीन का एक हिस्सा बेच दिया गया है। मामला सामने आने के बाद अधिकारियों ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं। यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जम्हरुआ पंचायत के मुरौल गांव में स्थित है। इस केंद्र की स्थापना 1975 में हुई थी, इमारत भी अब काफी बदतर हो चुकी है।
उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं-सरकार
बिहार के भूमि सुधार और राजस्व मंत्री राम सूरत कुमार ने कहा है कि 'यह एक गंभीर मामला है और इसकी उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। इसमें जो भी शामिल होंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की जमीन कैसे बेच दी गई और रजिस्ट्री भी हो गई, इसकी पूरी जांच की आवश्यकता है।' यह मामला तब उजागर हुआ, जब स्थानीय सर्किल ऑफिसर पंकज कुमार के पास बेची गई जमीन की जमाबंदी के लिए आवेदन दिया गया। सीओ ने बताया कि 'स्वास्थ्य केंद्र की कुल जमीन में से करीब 36 डिसमिल बेच दी गई है। जिला प्रशासन ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। जमीन के दस्तावेजों की भी पड़ताल की जा रही है।'
सरकारी जमीन बेचने की भनक क्यों नहीं लगी ?
जम्हरुआ पंचायत के मुखिया अजय कुमार निराला के मुताबिक 1975 में इलाके में स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए राज्य सरकार को एक स्थानीय व्यक्ति ने करीब एक एकड़ जमीन दान में दी थी। उन्होंने कहा कि बेची गई जमीन की कीमत निश्चित तौर पर करोड़ों में होगी। जानकारी के मुताबिक इस मामले का खुलासा होने के बाद स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी है। सवाल उठ रहे हैं कि जब फरवरी महीने में इतना बड़ा खेल भू-माफियाओं ने कर दिया तो स्वास्थ्य विभाग या प्रशासन को भनक तक क्यों नहीं लगी? या फिर इसमें उनकी भी किसी तरह की मिलीभगत है?
इसी महीने 60 फीट लंबा पुल चुरा ले गए चोर
इस महीने की शुरुआत में ही राज्य के रोहतास जिले में कुछ लोगों ने सरकारी अधिकारी बनकर 60 फीट लंबे स्टील का एक पुल ही तोड़कर चुरा लिया था। इस्तेमाल नहीं हो रहे उस 500 टन वजनी पुल एक नहर पर 1972 में बनाया गया थ। उस मामले में जल संसाधन विभाग के एसडीओ समेत 8 लोगों का गिरफ्तार किया गया था। यानी वहां पर खेल में सरकारी अघिकारी की ही मिलीभगत थी। (तस्वीरें सौजन्य: न्यूज18 ट्विटर वीडियो)