Mulayam Singh का क्या है बिहार कनेक्शन, क्यों उठ रही आदमकद लगाने की मांग ?
Mulayam Singh Yadav : उत्तर प्रेदश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव 10 अक्टूबर 2022 (सोमवार) को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्होंने दिल्ली के मेदांता हॉस्पिटल में आखिरी सांसे ली थी। जिसके बाद पूरे देश में शोक की लहर थी, वहीं बिहार में एक दिन का शोक छोषित किया गया था। अब बिहार में स्व. मुलायम सिंह यादव की आदमकद लगाने की मांग उठ रही है। समाजवादी पार्टी की बिहार इकाई की तरफ़ से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलायम सिंह यादव की आदमकद प्रतिमा लगाने की मांग की गई है।

मुलायम सिंह यादव की आदमकद लगाने की मांग
बिहार प्रदेश समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद नैय्यर हसनैन और मनहर गुंजन ने सीएम नीतीश कुमार से आदमकद लगवाने की गुज़ारिश की है। उन्होंने कहा कि नेती जी की मौत से समाजवाद के एक स्वर्णिम अध्याय खत्म हो गया। बिहार से मुलायम सिंह यादव का हमेशा से ही खास लगाव रहा है। वह अपने भाषण में बिहार का अक्सर ज़िक्र किया करते थे। " उत्तर प्रदेश मेरा घर है तो बिहार मेरा आंगन" कहते हुए बिहार का ज़िक्र उनके जुबान पर रहता था।

सीएम नीतीश कुमार से SP नेताओं ने की मांग
समाजवादी पार्टी बिहार इकाई के सदस्यों ने सीएम नीतीश कुमार से आदमकद लगवाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि इससे हर समाजवादियों को ताक़त मिलेगी और समाज बुराई के खिलाफ बेबाक आवाज़ बुलंद होगी। स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव का बिहार से एक और खास रिश्ता है, वह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के समधी भी थे। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लालू प्रसाद यादव की वजह से मुलायम सिंह यादव दो बार प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए। आइए आपको बताते हैं कि किस तरह से दोनों की सियासी कड़वाहट रिश्ते की मिठास में बदली।

लालू यादव ने खोला था मुलायम सिंह के खिलाफ मोर्चा
2004 लोकसभा चुनाव की तैयारी ज़ोरों पर चल रही थी। इस दौरान लालू प्रसाद यादव ने मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बयानबाज़ी करते हुए कहा था कि मुलायम सिंह यादव भाजपा के एजेंट हैं। अगर भाजपा को बहुमत नहीं आएगी तो वह मुलायम सिंह को प्रधानमंत्री पद का लालच दिया है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के इस बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया था। मुलायम सिंह यादव पहली बार 1996 में लालू प्रसाद यादव की वजह से प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए थे।

161 सीटों पर भाजपा ने जमया था क़ब्ज़ा
1996 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई थी। भाजपा ने 161 सीटों पर क़ब्ज़ा जमया था। वहीं अटल बिहारी वाजपेयी ने पीएम पद की शपथ ली। अल्पमत में होने की वजह से 13 दिन बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था। वहीं कांग्रेस के पास 141 सीटें थी लेकिन कांग्रेस गठबंधन कर सरकार नहीं बनाना चाहती थी। इसके बाद मिली जुली विपक्ष ने मिली जुली सरकार बनाने का फ़ैसला लिया। वीपी सिंह और ज्योती बसु (बंगाल के तत्कालीन सीएम) का नाम पीएम पद के लिए सामने आया। लेकिन वीपी सिंह ने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया। वहीं, ज्योति बसु के नाम पर सभी नेताओं ने सहमति दर्ज नहीं की।

देश के प्रधानमंत्री बने एच डी देवगौड़ा
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के नाम की चर्चा हुई। चूंकी लालू प्रसाद यादव का नाम चारा घोटाले में थे इसलिए वह पीएम की रेस से पहले ही बाहर हो चुके थे। अब मुलायाम सिंह का नाम बचा था। सियासी गलियारों में यह तय माना जा रहा था कि मुलायम सिंह यादव ही देश के प्रधानमंत्री होंगे। लालू प्रसाद यादव और शरद यादव उस फैसले के खिलाफ हो गए। इसके बाद मुलायम सिंह यादव के बजाए एच डी देवगौड़ा देश के प्रधानमंत्री बने।

PM बनते-बनते रह गए 'नेता जी'
1999 के लोकसभा चुनाव में संभल और कन्नौज सीट से मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद फिर मुलायम सिंह का नाम पीएम उम्मीदवार के तौर पर सामने आया लेकिन कई नेता उनके नाम के खिलाफ हो गए जिसमें लालू प्रसाद यादव, चंद्र बाबू नायडू, शरद यादव और वीपी सिंह का नाम सबसे उपर था। इनकी वजह से मुलायम सिंह यादव प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए।

रिश्ते की मिठास में बदली सियासी कड़वाहट
लालु प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव की सियासी कड़वाहट तो आप ने पढ़ ली अब आपको उनके समधी बनने का किससा सुनाते हैं, जिसके बाद दो सियासी दुश्मन दोस्त बन गए। लालू यादव के परिवार से मुलायम सिंह यादव का गहरा रिश्ता रहा है। सियासी मतभेद के बावजूद दोनों परिवार में प्यार का रिश्ता बना और वह लोग एक हो गए। दरअसल लालू प्रसाद यादव की सबसे छोटी बेटी राजलक्ष्मी की शादी मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रताप सिंह से हुई है।
ये भी पढ़ें: Mulayam Singh Yadav की तेरहवीं के लिए वसूला गया चंदा? पर्ची वायरल होने पर रद्द हुआ कार्यक्रम