11 रुपये दक्षिणा से IAS बनने तक का सफर तय करवा रहे गुरु रहमान, 10 हज़ार छात्रों की बदली किस्मत
आज हम आपको एक ऐसे गुरू के बारे में बताने जा रहे हैं जो 11 से 51 रुपये के गुरु दक्षिणा में छात्रों के आईएएस बनने तक के सपने को साकार कर रहे हैं।
पटना, 16 जून 2022। हर छात्र की ये ख्वाहिश होती है कि वह अच्छे से पढ़ कर अच्छी सैलरी वाली नौकरी करे। वहीं कुछ छात्रों का सपना होता है कि वह अच्छे ओहदे पर सरकारी नौकरी करे> लेकिन हालात ऐसे हो जाते हैं जिनकी वजह से कई छात्रों के ख्वाब अधूरे रह जाते हैं। क्योंकि देश में पतियोगी परीक्षाओं के लिए कई संस्थान हैं जहां परीक्ष की तैयारी करवाने के नाम पर मोटी रकम वसूल की जाती है। यही वजह है कि आर्थिक तौर पर कमज़ोर छात्र अपने हौसले की उड़ान नहीं भर पाते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गुरू के बारे में बताने जा रहे हैं जो 11 से 51 रुपये के गुरु दक्षिणा में छात्रों के आईएएस बनने तक के सपने को साकार कर रहे हैं।
10 हज़ार से ज्यादा छात्रों की बदली क़िस्मत
बिहार की राजधानी पटना में एक ऐसा कोचिंग है जहां गुरु दक्षिणा के नाम पर कुछ रपये लिए जाते हैं। आज की तारीख़ में इस कोचिंग संस्थान ने क़रीब 10 हज़ार से ज्यादा छात्रों की किस्मत बदल दी है। यहां के छात्र दारोगा से इंस्पेक्टर, आईएएस, आईपीएस, आईआरएस और सीटीओ अधिकारी समेत अन्य सरकारी नौकरी में अच्छे ओहदे पर काम कर रहे हैं। इस कोचिंग संस्थान का नाम अदम्य अदिति गुरुकुल है यहां के संस्थापक गुरु रहमान आर्थिक तौर पर कमज़ोर बच्चों के लिए मसीहा बने हुए हैं। उन्होंने अपनी बेटी के नाम पर ही संस्थान का नाम पर अदम्य अदिति गुरुकुल रखा है।
परीक्षा के नाम पर नहीं वसूली जाती मोटी रकम
पटना के नया टोला इलाके में स्थित गुरु रहमान के अदम्य अदिति गुरुकुल की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि यहां परीक्षा के नाम पर मोटी रकम नहीं वसूली जाती है। छात्रों से गुरु दक्षिणा के नाम ज्यादा से ज्यादा 11 रुपये ही लिए जाते हैं। ग़ौरतलब है कि गुरु रहमान मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं इसके बावजबद वह वेद के अच्छे जानकारों में शुमार किए जाते हैं। 1994 में गुरु रहमान ने अपने गुरुकुल की स्थापना की थी। उनके संस्थान में यूपीएससी, बीपीएससी और स्टॉफ सलेक्शन की तैयारी कराई जाती है। अब तक यहां के कई हज़ार छात्रों ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से लेकर डॉक्टर और इंजीनियरिंग तक की परीक्षाओं में कामयाबी हासिल की है।
काफ़ी मुश्किलों में गुज़रा वक़्त
गुरु रहमान ने अपने माता-पिता के आशीर्वाद के बिना ही शादी की थी क्योंकि उस समय में हिंदू-मुस्लिम में शादी करना बड़ी बात थी। इसके साथ ही गुरु रहमान और उनकी पत्नी का रुख साफ़ था कि दोनों में से कोई भी अपना धर्म परिवर्तन नहीं करेगा। समाज को यह बाज और नागवार गुज़री जिसकी वजह सभी ने उनका बहिष्कार कर दिया, लोगों ने काफी ताने मारे और कहीं भी नौकरी नहीं मिली। इन मुश्किल भरे हालात में भी उन्होंने अपना हौसला बरक़रार रखा। एक छोटा सा कमरा किराये पर लिया और छात्रों को फर्श पर बैठाकर पढ़ाने लगे। चूंकि वह पुलिस इंस्पेक्टर के बेटा थे तो वह आईपीएस अधिकारी बनना चाहते थे कई बार वह परीक्षा में बैठे भी और कुछ परीक्षाएं पास भी कीं लेकिन उनकी मंजिल तो कहीं और ही थी।
1994 में मिली बड़ी कामयाबी
गुरु रहमान खुद तो आईपीएस अधिकारी नहीं बने लेकिन उन्होंने अपने छात्रों को यूपीएससी और बीपीएससी जैसी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं समेत लिपिक पदों की परीक्षाओं के लिये भी कोचिंग देना शुरू कर दिया। कुछ दिनों में उनका नाम काफी सुर्खियों में छाने लगा। पहली बार उन्हे सबसे बड़ी कामयाबी मिली 1994 में मिली, उस दौरान बिहार में 4 हज़ार सब-इंस्पेक्टरों की भर्ती निकली थी। उन 4 हज़ार भर्तियों में रहमान सर के 1100 छात्रों ने पर्चम लहराया था। उसके बाद से रहमान सर से काफी छात्र पढ़ने के लिए उत्सुक रहते थे। आर्थिक तौर पर कमज़ोर एक छात्र उनके पास मार्गदर्शन के लिए आया था।
11 रुपये गुरु दक्षिणा लेकर दी शिक्षा
पैसे नहीं होने की वजह से वह अच्छी पढ़ाई नहीं कर पा रहा था। रहमान सर ने लड़के की प्रतिभा को देखते हुए अपनी क्लास में शामिल कर लिया। फ़ीस के नाम पर 11 रुपये ही लिया। इसके बाद से ही वह गरीब छात्रों से गुरु दक्षिणा के नाम पर 11 रुपये ही लेते हैं। आपको जानकार हैरान रह जाएंगे की वह छात्र कोई और ओडिशा के नुआपाड़ा के जिला कलेक्टर शादिक आलम हैं। वहीं एक अन्य छात्रा मीनू कुमारी झा आईपीएस अधिकारी बनना चाहती थी। गुरु रहमान सर के मार्गदर्शन में प्राचीन इतिहास और संस्कृति में ट्रिपल एमए और पीएचडी की और आईपीएस अधिकारी भी बनी। ग़ौरतलब है कि गुरु रहमान ने उनसे भी सिर्फ़ 11 रुपये फीस ली थी। आपको बता दें कि मीनू कुमारी झा पूर्णिया जिले के एक सेवानिवृत्त प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक की बेटी हैं।
अपनी खुशी से छात्रों ने किया भुगतान
गुरु रहमान की मानें तो उनके संस्थान से क़रीब 10 हज़ार से ज्यादा छात्रों ने शिक्षा हासिल की है। जिनमें से 3,000 छात्रों को सब इंस्पेक्टर, 60 आईपीएस अधिकारी और 5 आईएएस अधिकारी के रूप में भर्ती किया गया है और कई अन्य आधिकारिक पदों पर हैं। 2007 में रहमान सर को गुरु रहमान के नाम से लोग जान्ने लगे। जाना जाने लगा। सभी छात्रों ने अपनी हैसियत के मुताबिक अपनी फीस का भुगतान किया।
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