पशुपालकों के लिए खुशखबरी, विदिशा में खुलेगा वेटनरी का पहला कृषि विज्ञान केंद्र
वेटनरी का पहला कृषि विज्ञान केंद्र खोलने के लिए राजस्व विभाग ने विदिशा में 50 एकड़ जमीन उपलब्ध करा दी है। पशुओं की बीमारियों का बेहतर इलाज हो सकेगा।
भोपाल,10 अगस्त। मध्यप्रदेश में अब पशु पालकों को जानवरों में होने वाली बीमारी को लेकर ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। दरअसल वेटनरी विश्वविद्यालय को आखिरकार पहला कृषि विज्ञान केंद्र विदिशा में मिल गया। विश्वविद्यालय इसे पाने के लिए लगभग 13 साल से प्रयास कर रहा था। इसके माध्यम से विश्वविद्यालय अपने अनुसंधान, पशुओं की बीमारियों का बेहतर इलाज की प्रक्रिया और दवाइयों को शहर व ग्रामीण क्षेत्र तक पहुंचा पाएगा। कृषि विज्ञान केंद्र खोलने के लिए राजस्व विभाग ने विदिशा में 50 एकड़ जमीन उपलब्ध करा दी है। इसके सीमांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) की मदद से विश्वविद्यालय इसका संचालन करेगा। इसके लिए विज्ञानी, कर्मचारी और वित्तीय व्यवस्था का जिम्मा आइसीएआर का होगा।
विश्वविद्यालय 3 माह के भीतर से शुरू करने की तैयारी
विदिशा में खुलने जा रहे हैं विश्वविद्यालय के पहले कृषि विज्ञान केंद्र को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं एक्सटेंशन विभाग द्वारा जल्दी यहां पर महू, जबलपुर और रीवा में पदस्थ वैज्ञानिकों को तैनात किया जाएगा। वही विश्वविद्यालय और कॉलेज में चल रहे शोध, प्रोजेक्ट के परिणामों को इस इस कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से कृषि और पशु पालकों तक पहुंचाने की तैयारी है। विश्वविद्यालय 3 माह के भीतर से शुरू करने की तैयारी में है।
जबलपुर और ग्वालियर में भी खुल सकता है वेटनरी का कृषि विज्ञान केंद्र
प्रदेश के जबलपुर और ग्वालियर में भी कृषि विश्वविद्यालय हैं इनके अंतर्गत प्रदेश के सभी जिलों की कृषि विज्ञान केंद्र आते हैं इनकी मदद से सिर्फ कृषि से जुड़े शोध और एक्सटेंशन के काम शहर और गांव तक पहुंचते हैं। वेटरनरी के नहीं। वही आइसीएआर की नई योजना के तहत हर बड़े जिले में दो कृषि विज्ञान केंद्र खोलने की तैयारी है। इस पर काम भी शुरू हो गया है। इसका फायदा वेटरनरी विश्वविद्यालय को मिला। जल्द ही जबलपुर में भी वेटनरी विश्वविद्यालय का दूसरा कृषि विज्ञान केंद्र मिल सकता है।
अब ये होगा फायदा
विश्वविद्यालय के अनुसंधान में को बारी-बारी से कृषि विज्ञान केंद्र के जरिए पशु पालकों तक पहुंचना अनिवार्य होगा। इसके अलावा आइसीएआर की टीम विशेषज्ञ और योजनाओं की भी मदद मिलेगी। कॉलेज की सभी विभागों में चल रहे शोध कार्यों को अब कृषि विज्ञान केंद्र का भी हिस्सा बनाया जाएगा। विश्वविद्यालय के पीएचडी और पीजी के विद्यार्थियों को यहां आकर व्यवहारिक कार्य करने मिलेंगे।
प्रोफेसर ने दी जानकारी
प्रोफेसर एसपी तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय को आखिरकार पहला कृषि विज्ञान केंद्र विदिशा में मिल गया विश्वविद्यालय प्रशासन और एक्सटेंशन विभाग की मेहनत का ही परिणाम है अब हम अपने शोध कार्यों को पशुपालकों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। कृषि विज्ञान केंद्र के लिए हमें विदिशा में लगभग 50 एकड़ जमीन मिलने जा रही है।
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