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मध्यप्रदेश को फिर मिला 'फर्स्ट टाइगर स्टेट' का दर्जा, जानिए क्यों?

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भोपाल। मध्य प्रदेश को एक बार फिर पहला टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है। प्रदेश ने 526 टाइगर के साथ देश मे सबसे ज्यादा टाइगर के साथ पहला स्थान पाया है। वहीं कर्नाटक 524 टाइगर के साथ दूसरे और उत्तरखंड 442 टाइगर के साथ तीसरे नम्बर पर आया है।

Madhya Pradesh again got the status of First Tiger State, know why?

इससे पहले सोमवार को वर्ल्ड टाइगर डे के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में बाघों की संख्या की घोषणा की। हालांकि संभावना जताई जा रही थी कि कर्नाटक या उत्तराखंड में से किसी एक को टाइगर स्टेट का दर्जा भी मिल सकता है, लेकिन मध्यप्रदेश ने दोनों राज्यों से बाजी मार ली।

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असल में, बाघ के संरक्षण में मध्य प्रदेश के प्रयासों को देखते हुए नेशनल टाइगर कनजर्वेशन अथारिटी (एनटीसीए) ने पहले ही इसकी उम्मीद जताई थी। किसी भी राज्य का टाइगर स्टेट का दर्जा वहां बाघों की सबसे ज्यादा मौजूदगी के आधार पर दिया जाता है।इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत में करीब 3 हज़ार टाइगर हैं।

Madhya Pradesh again got the status of First Tiger State, know why?

हम दुनिया में उनके सबसे बड़े और सुरक्षित निवास स्थानों में से एक हैं। इससे पहले सेंसस 2014 में देश में बाघों की संख्या 2226 सामने आई थी। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यट ऑफ इंडिया ने पिछले साल देशभर के टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क, अभ्यारण्य और सामान्य वन मंडलों में 28 पैरामीटर पर बाघों की गणना की। मोदी ने कहा कि 9 साल पहले सेंट पीट्सबर्ग के सम्मेलन में 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन हमने इसे बीते चार साल में ही हासिल कर लिया। देश में टाइगर और संरक्षित इलाकों की संख्या बढ़ने का असर रोजगार पर भी पड़ता है।

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मप्र 2006 से पहले टाइगर स्टेट कहलाता था। यहां देश में सबसे ज्यादा टाइगर थे। बाद में इस स्थान पर कर्नाटक आ गया, लेकिन अब भी टाइगर इस प्रदेश की पहचान बने हुए हैं। वहीं, प्रदेश में पांच टाइगर रिजर्व हैं। सीधी जिले में संजय गांधी, मंडला जिले में कान्हा किसली, सिवनी जिले में पेंच, पन्ना में पन्ना नेशनल पार्क और उमरिया जिले में बांधवगढ़ नेशनल पार्क।

Madhya Pradesh again got the status of First Tiger State, know why?

तत्कालीन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री कमलनाथ ने 1991 में फॉरेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (आइआइएफएम) में एक कार्यक्रम में प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिया था। उन्हें वन विभाग के अफसरों ने बताया कि प्रदेश में 900 से अधिक बाघ हैं, तब मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग नहीं हुआ था। कमलनाथ अब प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

2010 में छिना था टाइगर स्टेट का तमगा

मध्यप्रदेश से टाइगर स्टेट का तमगा वर्ष 2010 में तब छिन गया था, जब 2006 की गणना के मुकाबले बाघों की संख्या 300 से घटकर 257 रह गई थी। 300 बाघों के साथ यह कर्नाटक टाइगर स्टेट बना था। कर्नाटक ने 2014 की बाघ गणना में 406 बाघों की गिनती कराकर अपनी प्रतिष्ठा को बरकरार रखा। जबकि 2006 में कर्नाटक में 290 बाघ थे और उनकी संख्या लगातार बढ़ती गई।

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2014 की गणना में प्रदेश में 308 बाघ पाए गए थे। गौरतलब है कि देश में प्रत्येक चार साल में बाघों की गणना की जाती है। इससे पहले यह गणना वर्ष 2014 में की गई थी। जिसमें देश भर में कुल 2226 बाघ पाए गए थे। इनमें सबसे ज्यादा 408 बाघ कर्नाटक में पाए गए थे। इसमें दूसरे नंबर पर उत्तराखंड था, जहां 340 बाघ मिली थी, तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश था, जहां कुल 308 बाघ पाए गए थे। हालांकि वर्ष 2006 की गणना में देश में सबसे अधिक 300 टाइगर मध्य प्रदेश में मिले थे।

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English summary
Madhya Pradesh again got the status of 'First Tiger State', know why?
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