Electricity workers : मध्यप्रदेश में 70 हजार बिजली कर्मी हड़ताल पर,भोपाल सहित कई जिलों में बिजली समस्याएं शुरू
एमपी के 70 हजार से ज्यादा बिजली कर्मी मंगलवार से हड़ताल पर चले गए हैं। उन्होंने कामों का बहिष्कार कर दिया। अगर कहीं बिजली सप्लाई बाधित होती है, तो वे फॉल्ट नहीं सुधरेंगे।
Electricity Workers on Strike : राजधानी भोपाल सहित पूरे प्रदेश में आज से बिजली समस्याएं और बढ़ने की आकांक्षा है। दरअसल बीते दिनों से बिजली कंपनी के आउटसोर्स कर्मचारी हड़ताल पर थे। अब इनके के समर्थन में बिजली कंपनी के संविदा कर्मचारियों ने भी हामी भरते हुए आज से काम बंद करके हड़ताल शुरू कर दी है। हालांकि इस मामले में बिजली कंपनी प्रबंधन भी सख्त हो गया है। कंपनी ने नोटिस जारी किया है कि यदि कर्मचारी काम पर नहीं लौटे तो उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा विद्युत विभाग के विभिन्न संगठनों के अंतर्गत 21 जनवरी से और सूरज कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है ऐसे में आज मंगलवार को राजधानी में तैनात बिजली कंपनी के आउटसोर्स कर्मचारियों और संविदा कर्मचारियों की काम बंद हड़ताल लगातार चौथे दिन भी जारी रही।
70 हजार कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से प्रदेश में बिजली व्यवस्था को लेकर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यूनाइटेड फोरम ने संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन किया है। फोरम के प्रवक्ता लोकेंद्र श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि 24 जनवरी से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया गया है। प्रदेश के बोर्ड नियमित, संविदा एवं आउटसोर्स कर्मी अपनी मांगों को पूर्ण कराने के संबंध में महाआंदोलन में शामिल हो रहे हैं। भोपाल के गोविंदपुरा में धरना-प्रदर्शन जारी है वहीं ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि वे कर्मचारियों के साथ बैठक कर चर्चा करेंगे।
कई तरह के काम हो सकते हैं प्रभावित
बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से लाइन फोल्ड होने पर उसे सुधारने के लिए हमला नहीं पहुंचेगा। इस कारण लोग परेशान होंगे। नए बिजली कनेक्शन नहीं दिए जाएंगे, इस कारण लोगों को नए बिजली कनेक्शन के लिए इंतजार करना होगा। बिजली बिलों की वसूली भी नहीं हो सकेगी। पेट्रोलिंग सर्वे के काम नहीं होंगे। बिजली कर्मचारियों की मांग है कि संविदा बिजली कर्मियों को तुरंत नियमित किया जाए। आउटसोर्स कर्मचारियों को संविलियन करते हुए कार्य अवधि एवं वरिष्ठा के अनुसार वेतन वृद्धि प्रदान करते हुए उनके भविष्य को सुरक्षित करने की नीति बनाई जाए। 20 लाख रुपए तक की दुर्घटना बीमा भी कराया जाए। इसके अलावा पुरानी पेंशन बहाल की जाए ताकि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित हो सके। वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए कमेटी बनाई जाए।
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