250 महिलाओं ने पहाड़ी काटकर बना डाली नहर, 18 माह में गांव के तालाब में पहुंचा पानी
छतरपुर। बिहार में कई साल पहले पहाड़ काटकर रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी और अब सिंचाई के लिए पानी लाने वाले लौंगी भुइयां की कहानी तो आपने खूब सुनी होगी। अब मध्य प्रदेश की इन बहू-बेटियों के बारे में जान लिजिए जिन्होंने पहाड़ काटकर नहर बन डाली।
गांव के तालाब को लबालब भरा
यह कहानी है मध्यप्रदेश की बहू-बेटियों की बेमिसाल इच्छाशक्ति की, जो गांव की प्यास बुझाने के लिए खुद भागीरथी बन गई और फावड़ा और कुदाल उठाकर एक पहाड़ी को काट डाला और अपने गांव में ऐसी जलधार ले आईं जो गांव की प्यास बुझाने का साथ-साथ विकास के लिए भी बेहद जरूरी थी। अपने इस भगीरथी प्रयास में बहुत कुछ गंवाकर इन बेटियों ने गांव के तालाब को पानी से लबालब भर दिया है।
छतरपुर के अगरोठा का मामला
मध्यप्रदेश में छतरपुर के अगरोठा गांव में सिंचाई और जानवरों के पीने के लिए पानी की समस्या विकराल थी। बुंदेलखंड पैकेज के तहत अगरौठा गांव में तालाब तो बन गया था। लेकिन तालाब को भरने के लिए पानी नहीं था। जिससे परेशान गांव की महिलाओं ने निर्णय लिया कि वो अब सरकार के भरोसे नहीं बैठेंगी और नहर से तालाब तक पानी लाने का बीड़ा उठाया।
250 महिलाओं ने की मेहनत
इसके बाद गांव की करीब 250 महिलाओं ने एक पहाड़ी को काटकर छोटी सी नहर बनाने का काम शुरू किया। इसके लिए उन्होंने पानी पंचायत समिति बनाई और काम शुरू कर दिया। उन्होंने 18 महीने तक काम किया। जल सहेलियों के नाम से अपनी अलग पहचान बनाने वाली इन महिलाओं को इस काम के बदले कुछ नहीं मिलता था।
मजदूरी छोड़कर नहर खोदने में जुटीं
इसके बावजूद ये महिलाएं अपनी नियमित मजदूरी का काम छोड़कर यह काम करती थीं। जिस दिन ये महिलाएं यहां काम करती थीं, उन्हें उस दिन की अपनी मजदूरी से भी हाथ धोना पड़ता था। लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी और आखिरकार इनका सपना पूरा हुआ औऱ गांव के तालाब तक नहर का पानी आ गया।
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