भाजपा नेता ने गाय को बताया हिंदू, कहा- दफनाकर नहीं, जलाकर किया जाना चाहिए अंतिम संस्कार
बाराबंकी। बीजेपी के एक नेता ने गाय का धर्म भी तय कर दिया है। एक विवादित बयान में बाराबंकी के भाजपा नेता रंजीत बहादुर श्रीवास्तव ने गाय को हिंदू बताते हुए मरने के बाद उसे दफनाने पर सख्त आपत्ति दर्ज करवाई है। बीजेपी नेता का कहना है कि गाय मुस्लिम नहीं, बल्कि हिंदू है और उसका अंतिम संस्कार भी हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार जलाकर होना चाहिए। इसके साथ ही मुसलमानों के गायों के पालने को इस बीजेपी नेता ने लव-जिहाद का नाम दे दिया।
'मुस्लिम नहीं हिंदू है गाय'
अपने बयानों से हमेशा चर्चा में बने रहने वाले बड़बोले भाजपा नेता बाराबंकी नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन और नगर पालिका के चेयरमैन के पति रंजीत बहादुर श्रीवास्तव का कहना है कि गाय मुस्लिम नहीं, बल्कि हिंदू है और उसका अंतिम संस्कार भी हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार जलाकर होना चाहिए। जबकि गाय माता का अंतिम संस्कार मुस्लिम पद्धति के अनुसार किया जा रहा है, उन्हें दफनाया जा रहा है, इस पर उन्हें आपत्ति है। उन्होंने कहा, हमारे वैदिक धर्म के अनुसार, इनका अंतिम संस्कार अग्नि को सुपुर्द करके ही करना चाहिए। इनके कफन की भी व्यवस्था करनी चाहिए। मेरी यह मांग मुख्यमंत्री से है और मैं नगर पालिका चेयरमैन का पति और पूर्व चेयरमैन होने के कारण यह प्रयास करूंगा कि नगर पालिका बोर्ड की बैठक में यह प्रस्ताव लाकर विद्युत शवदाह गृह बनवाकर इसकी शुरुआत करूं। ये विद्युत शवदाह गृह गोमाता के लिए बनेगा।
गाय का मुस्लिम के घर पलना लव जिहाद
रंजीत बहादुर ने कहा, ''मैं हिंदुओं से एक अपील और करना चाहूंगा कि जो गाय मुसलमानों के घरों में पल रही है। हिंदुओं को किसी भी कीमत पर वहां से गाय वापस ले लेनी चाहिए, क्योंकि जब हम अपनी लड़की और बहन को मुसलमानों के यहां जाने को लव-जिहाद मानते हैं, तो क्या गाय माता का इनके घर में जाना लव जिहाद की श्रेणी में नहीं आएगा। इसलिए गाय माता को किसी भी कीमत पर मुसलमानों के घर से वापस लिया जाना चाहिए। रंजीत ने कहा कि मुसलमानों के रसूल अल्लाह ने तो बकरियां पाली थीं, इसलिए बकरियां इनकी माता हैं। मुसलमानों को सिर्फ बकरियां पालनी चाहिए, यह लोग गाय क्यों पालते हैं। मुसलमानों का गाय पालना भी एक तरह का लव-जिहाद है और मैं इसका घोर विरोधी हूं।''
मोहम्मद साहब को बताया हिंदू
रंजीत बहादुर श्रीवास्तव ने मोहम्मद साहब के धर्म को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि कुरान शरीफ की एक आयत में इस बात का साफ जिक्र है कि पहले सभी का धर्म एक ही था और सभी मूर्तियों की पूजा करते थे। मक्के में भी पहले 365 मूर्तियां थीं, जो मक्का फतह करने के लिए मोहम्मद साहब ने तोड़ीं थीं। इसका मतलब पहले मक्का में भी मूर्तियां पूजी जाती थीं और मूर्ति की पूजा हिंदू धर्म में की जाती है, इसलिए मोहम्मद साहब भी पहले हिंदू ही थे, वह बाद में मुसलमान हुए हैं। इसलिए हिंदू-मुस्लिम का भेद खत्म करके मुसलमानों को दोबारा हिंदू धर्म स्वीकार कर लेना चाहिए।
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