कोई हुआ अपाहिज तो किसी ने खोई अपनी संतान, आजादी से अबतक ये गांव कर रहे हैं एक पुल का इंतजार

भारत आज जिस तेजी से आधुनिकता और विकास की ओर बढ़ रहा है, उससे केवल भारतवासी ही नहीं बल्कि पूरा विश्व आश्चर्यचकित है। दुनिया भर में इस समय मंदी का दौर चल रहा है। जहां हाल ही में कोरोना जैसी महामारी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया, वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध से भी समूचे विश्व में आर्थिक हालात नाजुक बने हुए हैं। मगर ऐसे में भी दुनिया के तमाम संगठनो और बड़े-बड़े देशों का कहना है कि इतनी कठिन परिस्थितियों में भी अगर कहीं से उम्मीद की किरण आती दिखाई दे रही है तो वो भारत से आ रही है।
आजादी से अबतक नहीं हुआ कोई विकास कार्य
यह बात सच भी है कि आज भारत विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है। मगर भारत में अभी भी कई ऐसे इलाके और समुदाय हैं जो विकास से अनछुए रह गए हैं। जिन्हे सरकार द्वारा शायद अभी तक नजरअंदाज किया गया है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के बलरामपुर ज़िले के उतरौला तहसील क्षेत्र में भरवलिया व हसनगढ़ गांवों के चार हजार से अधिक की आबादी को नदी पार कर दैनिक जरूरतें पूरी करनी पड़ रही है। आजादी से आज तक इस गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है, ग्रामीण की माने तो सात दशक से राप्ती नदी पर पुल का निर्माण कराने की मांग हो रही है, लेकिन जनप्रतिनिधियों ने इस गंभीर समस्या के निस्तारण के लिए आवाज उठाना मुनासिब नहीं समझा। जिससे ग्रामीणों की हसरतें पूरी नहीं हो सकी।

गर्वभती महिलाऐं और मरीज होते हैं इस समस्या का शिकार
राप्ती नदी पर पुल न होने की वजह से सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं व मरीजों को होती है। जिन्हें अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। बाढ़ के समय हर साल समय से इलाज न मिल पाने के कारण कम से कम दो तीन गांववासियों को अपनी जान गवानी पड़ती हैं। गैंड़ासबुजुर्ग के नंदौरी ग्राम सभा भरवलिया व हसनगढ़ मजरे के निवासियों की पीड़ा बरसात के दिनों में और भी बढ़ जाती है। भरवलिया गांव में परिषदीय जूनियर स्कूल व प्राइमरी स्कूल भी संचालित है। यहां तैनात अध्यापक-अध्यापिकाओं को नाव से नदी पार करके जाना पड़ता है। नाव की व्यवस्था भी ग्रामीणों को अपने जेब से करनी पड़ रही है। शाम छह बजे के बाद नाव की सेवा बंद हो जाती है ।

कभी गर्वभती महिला ने खोया अपना बच्चा तो कभी कोई हो गया अपाहिज
पिछले साल अक्टूबर माह में आई बाढ़ के चलते समय से अस्पताल न पहुंच पाने के कारण किशोर भारती व अबू शहमा की जान चली गई। इसी तरह गांव की मुटरा को प्रसव पीड़ा के दौरान समय से अस्पताल नहीं पहुचाया जा सका, जिससे उसके बच्चे की मौत हो गई। और उसकी भी हालत गंभीर हो गई, जिसके बाद ग्रामीणों ने चंदा एकत्रित कर उसका इलाज करवाया, तब जाकर उसकी जान बच पाई । इस्तियाक का बाढ़ के दौरान ही पैर टूट गया था किसी तरह प्लास्टर तो बंधा लेकिन प्लास्टर कटवाने अस्पताल नहीं पहुंचे। गांव के फार्मासिस्ट से प्लास्टर कटाया लेकिन पैर टेढ़ा हो गया।
वहीं गांव के सुखराम वीरे प्रसाद बताते हैं कि प्रशासन द्वारा आवागमन के लिए नाव की व्यवस्था नहीं कराई गई है, हम सभी चंदा एकत्रित कर नाव का निर्माण कराते हैं। दो साल पर नाव निष्प्रोज्य हो जाता है । जिसे बनाने के लिए सभी को मिलकर हर बार एक लाख का चंदा एकत्र करना पड़ता है।

बालिकाओं को झेलना पड़ रहा अशिक्षा का दंश, जिम्मेदार मौन
वहाजुद्दीन खान, संजीव यादव, सोनू प्रसाद, परवेज अहमद बताते हैं कि गांववासियों के तमाम समस्याओं की तरफ जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों, समाजसेवियों की नजर नहीं पड़ती और न ही कोई इस गांव की तरफ झांकने आता है। इरशाद अहमद, मुगीस अहमद, अफसर खान, फसस्सुल अहमद, मोहम्मद इस्तियाक ने बताया कि ग्राम पंचायत की तरफ से गांव में कोई विकास कार्य नहीं कराया जाता हैं। जिससे गांववासी नरकीय जीवन जीने को विवश हैं। राम नौकर सुखराम ने बताया कि गांव के परिषदीय विद्यालय मे बच्चों को आठ तक प्राथमिक शिक्षा मिल जाती हैं, लेकिन उससे उपर की शिक्षा से अधिकतर बच्चे महरूम हो जाते है। विशेषकर बालिकाओं को अशिक्षा का दंश झेलना पड़ता है।
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क्या कहते हैं स्थानीय विधायक
वही जब इस संबंध में उतरौला विधायक रामप्रताप वर्मा से बात किया गया तो उन्होंने कहा कि उतरौला विधानसभा क्षेत्र में लगातार विकास कार्य कराया जा रहा है, विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न मुख्य मार्गों को सरकार के द्वारा बनवाया गया है। जिससे सभी को आने जाने की सुविधा मिली है और इस गांव का मामला संज्ञान में आया है, जल्दी इस गांव में विकास कार्य कराया जाएगा।
क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी
उपजिलाधिकारी संतोष कुमार ओझा ने बताया कि गांव का दौरा कर समस्या से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जायेगा और जल्दी ग्रामीणों को सरकार के द्वारा दी जा रही सुविधाओ को उपलब्ध कराया जाएगा। अब देखने वाली बात यह होगा कि आजादी से अबतक विकास से अछूता रहा यह क्षेत्र और यहां रहने वाले 4 हजार लोगों की गुहार क्या सरकार तक पहुंचेगी? क्या यहां एक पुल का निर्माण कार्य सरकार द्वारा करवाया जाएगा या नहीं ?
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