राजबली यादव ने बनाई 'नेताजी' की मानव कद प्रतिमा, अर्जुन यादव ने 'थैंक्स' तो टीना यादव ने 'दादू' लिखा
उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार रक्षा मंत्री रह चुके स्व0 मुलायम सिंह यादव देश के उन दिग्गज जमीनी नेताओं में शुमार किए जाते हैं जिन्होंने अपने बल पर राजनीति में नया मुकाम हासिल किया। 82 साल की उम्र में नेताजी ने इस दुनिआ को अलविदा कहा। निधन के बाद नेताजी को लोग अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि दे रहे है। इसी कड़ी में नेता जी के संघर्षो व प्रेरणा से प्रेरित होकर आजमगढ़ जिले के राजबली यादव ने स्व0 मुलायम सिंह यादव की अद्भुत मानव कद प्रतिमा बनाई है। नेताजी की इस प्रतिमा को वह अपने ग्राम सभा में स्थापित करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते है।
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स्व0 मुलायम सिंह यादव की मानव कद प्रतिमा
आजमगढ़ जिले को समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता है। ऐसे में अपने लोकप्रिय नेता को यहां के लोग भुला दे ऐसा हो नहीं सकता है। जिले की धरती समाजवादियो के लिए हमेशा याद रखी जाती है, ऐसा ही एक जुनून देखने को मिला आजमगढ़ जिले के लालगंज विधानसभा के रणमो गांव में, जहां राजबलि यादव दिन रात एक करके स्व0 मुलायम सिंह यादव की मानव कद प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे है। राजबलि यादव के हाथो की कला का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नेताजी की प्रतिमा को देख लोग चौंक जा रहे है, मानो ऐसा प्रतित हो रहा है कि नेता जी अब बोल ही देंगे। राजबलि यादव का कहना है कि उन्हें नेता जी जीवनी पढ़कर उनके संघर्षो से प्रेरणा मिली और फिर उनके निधन के बाद मन बनाया कि धरतीपुत्र की प्रतिमा बनाकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करूंगा।
अखिलेश यादव को समर्पित
राजबलि यादव का कहना है कि नेता जी की इस प्रतिमा को वह सपा मुखिया अखिलेश यादव को समर्पित करना चाहते है। वह चाहते है कि अखिलेश यादव खुद उनके ग्राम सभा में नेता जी की प्रतिमा का अनावरण करे। खास बात यह है कि राजबलि यादव की कलाकारी के कायल सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के पुत्र व पुत्री भी हो गये है। अखिलेश यादव के पुत्र अर्जुन यादव, पुत्री टीना यादव ने अपने फेसबुक एकाउन्ट पर नेता जी की इस प्रतिमा को शेयर किया है। अर्जुन यादव ने 'थैंक्स' तो टीना यादव ने 'दादू' लिखा है। फिलहाल राजबलि यादव के नेता जी को श्रद्धांजलि देने के इस तरीके को क्षेत्र के लोग खुब सराहना कर रहे हैं।
250 महापुरूषो की प्रतिमा बना चुके हैं
दरहसाल राजबलि यादव की यह कहानी शुरू हुई वर्ष 1994 में जब वह अपने लेक्चरर भाई के साथ लखनऊ विश्वविद्यालय पहुंचे। जहां गांधी जी की प्रतिमा बनाई जा रही थी, राजबलि यादव ने अपनी कला का ऐसा प्रदर्शन किया कि उस समय के तत्कालीन वीसी ने राजबलि यादव को ओवरऐज होने के बावजूद युनिर्वसिटी में दाखिला दे दिया। फिर यही से मूर्ति व प्रतिमा बनाने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज तक जारी है, वह अब तक 250 महापुरूषो की प्रतिमाओ को बना चुके है।
कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं
मुलायम सिंह पर कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। इनमे पहला नाम "मुलायम सिंह यादव- चिन्तन और विचार" का है जिसे अशोक कुमार शर्मा ने सम्पादित किया था। इसके अतिरिक्त राम सिंह तथा अंशुमान यादव द्वारा लिखी गयी "मुलायम सिंह: ए पोलिटिकल बायोग्राफी" अब उनकी प्रमाणिक जीवनी है। लखनऊ की पत्रकार डॉ नूतन ठाकुर ने भी मुलायम सिंह के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक महत्व को रेखांकित करते हुए एक पुस्तक लिखने का कार्य किया है।
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