मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के बेटे की संस्था को हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, सीएम योगी को पुनर्विचार करने का आदेश
Prayagraj news, प्रयागराज। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ की शिक्षण संस्था लाजपतराय एजुकेशनल सोसायटी के गाजियाबाद स्थित केंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (आइएमटी) गाजियाबाद से संकट के बादल छटते नजर आ रहे हैं। गाजियाबाद डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा भूमि आवंटन निरस्त करने व कालेज के निर्माण को हटाने के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है और सूबे की योगी सरकार को इस मामले में पुनर्विचार का आदेश दिया है।
जीडीए ने आवंटन निरस्त करने का आदेश दिया था
दरअसल, गाजियाबाद डेवलपमेंट अथॉरिटी ने निर्धारित रकम न जमा करने पर आवंटन निरस्त कर निर्माण हटाने का आदेश दिया था। जिस पर आनन-फानन में बकुलनाथ की सोसायटी ने बकाया 5 करोड़ रुपए अथॉरिटी में जमा कर दिए और जीडीए के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चैलेंज करते हुए जमीन का बैनामा कराने की मांग की। इसी मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह तो सरकार का दायित्व है कि लोगों को निशुल्क शिक्षा दी जाए, अगर ऐसे में कोई संस्थान शिक्षा व्यवस्था के लिए आगे आ रहा है तो सरकार को उसके लिए सहयोगात्मक रुख अपनाना चाहिए। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को आवंटन रद्द करने आदि की कार्रवाई के मामले में पुनर्विचार करने का आदेश दिया है।
क्या है मामला
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे बकुलनाथ ने लाजपत राय एजुकेशनल सोसायटी के नाम से एक संस्था बनाई हुई है। सोसायटी के द्वारा गाजियाबाद के राजेंद्र नगर में एक शिक्षण संस्थान खोले जाने का क्रम शुरू हुआ। इसके लिए गाजियाबाद डेवलपमेंट आथॉरिटी से सोसायटी के नाम जमीन आवंटित कराई गई। सोसायटी के नाम 11 हजार वर्ग गज जमीन आवंटित हुई, लेकिन इसके बाद कि वैधाानिक प्रक्रिया को सोसायटी ने पूरा नहीं किया। यानी बैनामा आदि नहीं कराया और सीधे जमीन पर कालेज का निर्माण कार्य शुरू कर दिया। इस बीच जीडीए ने कई बार सोसायटी को बैनामा कराने के लिए कहा, लेकिन बैनामा नहीं कराया गया। इस पर जीडीए ने बकाया राशि व बैनामा न कराए जाने आदि की प्रक्रिया को आधार बनाते हुए सोसाएटी का आवंटन रद्द कर दिया। साथ ही जमीन पर हुए निर्माण को हटाने का आदेश दिया।
जमा किए 5 करोड़
जीडीए के सख्त रुख के बाद हड़कंप मचा तो आनन-फानन में बकुलनाथ की सोसाएटी की ओर से जीडीए में 5 करोड़ रुपए जमा कराये गए, लेकिन आवंटन रद्द होने के कारण सोसायटी को अब राहत नहीं मिल रही थी, जिसके कारण सोसायटी की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई और जीडीए के आदेश को चैलेंज कर जमीन का बैनामा कराए जाने की मांग की गई। याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्र और न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने सुनवाई शुरू की तो सोसायटी को बड़ी राहत देते हुए इस मामले में राज्य सरकार को पुनर्विचार करने का आदेश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी और तब तक प्रमुख सचिव नगर विकास को इस मामले पर हुए निर्णय से कोर्ट को अवगत कराना है।
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