इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई धर्मांतरण कानून पर सुनवाई, राज्य सरकार ने मांगा समय
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश सरकार के धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान एक बार फिर से राज्य सरकार की तरफ से अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा गया, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 फरवरी की तारीख दी है। याची अधिवक्ता रमेश कुमार के मुताबिक, 25 जनवरी को पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक साथ सभी याचिकाओं को सुने जाने की अर्जी दाखिल होने का हवाला देते हुए सुनवाई के लिए समय मांगा था। बता दें, याचिकाओं में धर्मांतरण अध्यादेश को रद्द करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं ने यूपी सरकार पर मामले को टालने की बात कहते हुए बहानेबाजी करने का आरोप लगाया है। यूपी सरकार की अपील पर हाईकोर्ट में मंगलवार को एक बार फिर सुनवाई टल गई है।
याचिका में धर्मांतरण कानून के दुरुपयोग की आशंका
याचिका में धर्मांतरण कानून के दुरुपयोग की आशंका जताई गई है। धर्मांतरण अध्यादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चार अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कर चुनौती दी गई है, जिसमें अध्यादेश को रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इस कानून के जरिए समाज विशेष के लोगों को प्रताड़ित किया जाएगा, यह कानून विधि सम्मत नहीं है। साथ ही संविधान के खिलाफ बताते हुए रद्द किए जाने की मांग की गई है। राज्य सरकार ने सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी।
राज्य सरकार ने दी ये दलील
सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को राज्य सरकार की अर्जी खारिज कर दी थी। कोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई का रास्ता साफ हो गया। राज्य सरकार की ओर से याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया जा चुका है। यूपी सरकार के मुताबिक, धर्मांतरण अध्यादेश को पूरी तरह से संविधान सम्मत बताया है। राज्य सरकार की दलील है कि इससे किसी के मूल अधिकारों का हनन नहीं होता है। जस्टिस संजय यादव और जयंत बनर्जी की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई।
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