ताज महल के लिये जहर बना आगरा का पेठा
आगरा के मशहूर पेठे का रसास्वादन आप नहीं कर सकेंगे। उसमें आगरा की खुशबू नहीं होगी। ताजमहल की खूबसूरती तो देखने आने वाले सैलानी आगरा में अपने प्रवास के दौरान पेठा अपने साथ ले जाते हैं। इस वजह से आगरा का मशहूर पेठा देश ही नहीं विदेशों में भी खास लोकप्रिय है। अब पेठा बनाने वालों को आगरा छोडऩे का फरमान सुना दिया गया है। पेठा बनाने वाली इकाइयां उसे बनाने में कोयले आदि का प्रयोग करती है जिससे प्रदूषण फैलता है। इसलिए जिला प्रशासन ने पेठा बनाने वाली इकाइयों को आगरा से बाहर जाकर उत्पादन करने को कहा है।
आगरा में बंद होंगी पेठा बनाने वाली फैक्ट्रियां
ताज ट्रेपेजियम जोन के नाम से जाने वाले क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों को उत्पादन में गैस का उपयोग करने की सलाह दी है। ऐसा नहीं करने पर उन्हें क्षेत्र के बाहर जाने को कहा गया है। ताज ट्रेपेजियम जोन में ताज से 300 किलोमीटर के दायरे शामिल है।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बीवी अवस्थी ने बताया कि वर्ष 2002 में पेठा बनाने वाली इकाइयों ने शपथपत्र दाखिल करके कहा था कि वे कोयले का प्रयोग नहीं करते और उन्होंने अब गैस का उपयोग करना शुरु कर दिया है। उन्होंने कहा कि बाद में की गयी जांच में पाया गया कि पेठा बनाने वाली इकायां बड़ी मात्रा में कोयले का प्रयोग किया जा रहा है। इकाइयों के स्वत: क्षेत्र से बाहर जाना नहीं शुरु किया तो नगर निगम ने नूरी गेट, राजा की मंडी, खटिक पाड़ा और मोती कटरा में छोटी इकाइयों को उजाडऩे के लिए बुलडोजर का प्रयोग किया गया।
आगरा नगर निगम के राजीव राठी बताते है कि 1996 में उच्चतम न्यायालय ने ताप ट्रेपेजियम क्षेत्र में कोयला जलाने को प्रतिबंधित कर दिया था एैसा उन खबरों के बाद किया गया था जिसमें कहा गया था कि प्रदूषण के कारण ताज की आभा धूमिल हो रही है।