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गर्भवती मां का तनाव बनाये बच्चों को मनोरोगी

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कहते हैं ना मां ही बच्चे की पहली टीचर होती है जो अपने बच्चें की पहली सांस को तब ही महसूस कर लेती है जो वो पेट के अंदर होता है। इसलिए कहा जाता है कि मां को गर्भावस्था के दौरान बिल्कुल टेंशन फ्री होना चाहिए क्योंकि उसके टेंशन का सीधा असर उसके अजन्मे बच्चे पर पड़ता है।

गर्भावस्था में मां के प्लेसेंटा को ज्यादा पौष्टिक आहार और ऑक्सीजन की जरूरत होती है जो बच्चे के दिमाग के लिए भी जरूरी है। लेकिन मां का मानसिक दवाब प्लेसेंटा को अतिरिक्त प्रोंटीन लेने से मना कर देता जिसका सीधा असर भ्रूण के दिमाग के विकास पर पड़ जाता है। एक विश्वविद्यालय के शोध में यह बात कही गयी है।

शोध में साफ-साफ लिखा है कि मां के मानसिक दवाब के चलते बच्चों में मानसिक बीमारियां जैसे ऑटिज्म और सिजोफिरोनियां हो रही है। इसलिए शोध में साफ-साफ कहा गया है कि गर्भावस्था में मां को बहुत खुश औऱ शांत होना चाहिए।

अक्सर गर्भावस्था में मांए तनाव ग्रस्त हो जाती है ऐसे में उनके पतियों औऱ घरवालों को उन्हें खुश करने की भरपूर कोशिश करनी चाहिए। जिसके चलते मांओं को असुरक्षा कम महसूस हों और उन्हें गुस्सा भी कम आयें।

मां के अवसाद और तनाव की वजह से बच्चा शरारती और गु्स्सैल भी पैदा हो सकता है। शोध में साफ-साफ लिखा है कि बच्चों का किसी चीज में एकाग्रता नहीं दिखाना, अत्यधिक चिल्लाना, उंदड होने के पीछे भी गर्भावस्था के दौरान मां का तनाव या अवसाद में होना बताया गया है। यह गुण लड़के-लड़कियों दोनों में बराबर पाया जाता है।

English summary
Pregnant Womens's stress impacts unborn baby's brain said New Study. stress can affect brain development in the foetus.
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