बोफोर्स घोटाले में राजीव गांधी ने क्वात्रोकी को बचाया, अमिताभ को फंसाया
लिंडस्ट्रोम ने कहा है कि तमाम सबूत होने के बावजूद भी राजीव गांधी के इशारे पर आक्टोवियो क्वात्रोकी भाग निकला जबकि अमिताभ बच्चन जैसे बेगुनाह शख्स को फंसा दिया गया। पुलिस चीफ स्टेन लिंडस्ट्रोम के मुताबिक बोफोर्स मामले में इस बात के कोई सबूत नहीं हैं, जिससे यह लगे कि राजीव गांधी ने सौदे में दलाली खायी हो। लेकिन उसने ये भी कहा है कि घोटाले का मामला सामने आया, तो उन्होंने सक्रियता नहीं दिखाई और क्वात्रोकि को बचाने के जो प्रयास हो रहे थे उसे रोकने में भी उन्होंने दिलचस्पी नहीं दिखायी।
गौरतलब है कि स्टेन ने ही बोफोर्स तोप दलाली से संबंधित 350 पेज के दस्तावेज मीडिया को मुहैया कराए थे। आज से 25 साल पहले अंग्रेजी न्यूज पेपर द हिंदू की वरिष्ठ पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम ने इस घोटाले का खुलासा किया था। इस बार भी चित्रा सुब्रमण्यम ने स्टेन लिंडस्ट्रोम का इंटरव्यू लिया जिसमें यह सारी बातें निकल कर सामने आईं हैं।
बोफोर्स तोप घोटाले पर एक नजर
1986 में भारत सरकार ने स्वीडन की एक कंपनी एबी बोफोर्स से 155 एमएम की 410 होवित्जर बोफोर्स तोपें खरीदी थी। कुल सौदा 1437 करोड़ रुपये में हुआ था। 16 अप्रैल 1987 को स्वीडिश रेडियो ने खुलासा किया कि फर्म ने सौदे के लिए रिश्वत दी थी। सौदे में स्वीडिश हथियार निर्माता कंपनी एबी बोफोर्स से क्वात्रोच्चि पर दलाली का आरोप लगा
22 जनवरी, 1990 को सीबीआई ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू की। इस बीच मुख्य आरोपी इटली का व्यवसायी क्वात्रोच्चि भारत से भाग गया। सीबीआई ने विन चड्ढा, क्वात्रोच्चि, पूर्व रक्षा सचिव एसके भटनागर और बोफोर्स के पूर्व प्रमुख मार्टिन अर्बदो के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। आरोपियों में राजीव गांधी का भी नाम था, जिसे बाद में हटा दिया गया। अक्तूबर 2001 में विन चड्ढा की भी मौत हो गई। सीबीआई क्वात्रोच्चि के प्रत्यर्पण में दो बार विफल रही-2003 में मलयेशिया में और 2007 में अर्जेंटिना में।