खतरे में स्पर्म, 50 साल बाद बाप नहीं बन सकेंगे 50 फीसदी पुरुष
इस संबंध में अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में हैदराबाद के वैज्ञानिक डा. पीएम भार्गव ने कहा कि अभी तक यह चीजें सिर्फ पश्चिमी देशों के लोगों में दिखाई दे रही थीं, लेकिन अब भारत में भी यह असर दिखने लगा है। पश्चिमी देशों में किये गये अध्ययन के मुताबिक जिस तरह स्पर्म काउंट (शुक्राणुओं की संख्या) में गिरावट दर्ज हो रही है, उससे साफ है कि 40-50 साल बाद पुरुष नपुंसक हो जायेंगे।
दो साल पहले स्कॉटलैंड में 7,500 पुरुषों पर किये गये अध्ययन से पता चला कि उनमें हर साल 3 प्रतिशत स्पर्म कम हो रहे हैं। इसके कारण सिर्फ काम का दबाव नहीं है, बल्कि शराब और सिगरेट का सेवन और खाने की वस्तुओं में केमिकल्स भी हैं। इसके अलावा सब्जी, फल, दाल, धान, आदि को उगाने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स जैसे डीडीटी और डायॉक्सिन भी इसके प्रमुख कारण हैं।
वहीं मुंबई के स्पर्म बैंक के डा. अनिरुद्ध मालपानी ने ऐसी खबरों पर विश्वास नहीं करने की हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि अभी तक यह सब अध्ययन मात्र हैं, किसी ने यह बात सिद्ध नहीं की है। रही बात बच्चे के पैदा होने की तो इसका बड़ा कारण देर से शादी है। देर से शादी होने पर अकसर बच्चे में दिक्कत आती है। उन्होंने बताया दस साल पहले लोग स्पर्म का नाम लेने में भी झिझकते थे, लेकिन आज दुनिया भर में स्पर्म डोनेशन सेंटर खुल गये हैं। मुंबई स्थित केंद्र में रोजाना 10 से पंद्रह लोग आते हैं, लेकिन सिर्फ उन्हीं के स्पर्म लिये जाते हैं जो मानकों के अनुरूप होते हैं।
मानकों की बात करें तो पहले की तुलना में स्पर्म काउंट गिरा हो है। क्योंकि दस साल पहले स्पर्म काउंट 40-60 मिलियन/मिलीलीटर हुआ करता था। 2009 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में सामान्य स्पर्म काउंट को 20 मिलियन स्पर्म/मिली बताया। लेकिन आज तमाम लोग ऐसे आते हैं जिनकी संख्या 15 मिलियन होती है, जिन्हें बैंक में रिजेक्ट कर दिया जाता है और ऐसे लोग करीब 70 प्रतिशत होते हैं।