वोट चार फीसदी भी नहीं, बढ़े सीटे बढ़ गई 117
आंकड़ों का खेल बड़ा अजीब है। मत प्रतिशत में मामूली उतार-चढ़ाव किसी दल की सीटों में कितना बदलाव कर देता है, यह विधानसभा चुनाव के नतीजों से साफ हो गया है। केवल 3.85 फीसदी बढ़ने से समाजवादी पार्टी की सीटों की संख्या पिछली बार से 117 बढ़ गई। बसपा का वोट 4.52 प्रतिशत गिरा तो सीट 206 से घटकर 80 रह गईं। चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत तीन फीसदी बढ़ा और भाजपा का दो प्रतिशत गिरा है। इन दोनों दलों की सीटों में मामूली उतार-चढ़ाव आया है।
विधानसभा चुनाव के नतीजों का आकलन करें तो समाजवादी पार्टी को वोट प्रतिशत में कम बढोत्तरी के बावजूद सीटों का अधिकतम लाभ मिला है। सपा को 2007 में 25.3 प्रतिशत मत के साथ 97 सीटें मिली थीं। इस बार 3.85 फीसदी वोट बढ़ने से सीटों की संख्या 224 पहुंच गई है। सपा को कुल 29.15 प्रतिशत वोट मिले हैं। बसपा को 4.52 फीसदी के नुकसान के साथ 25.91 प्रतिशत वोट मिले हैं। पर, उसकी सीटों की तादाद 116 कम हो गई। 25.3 फीसदी वोट के साथ 2007 में सपा को 97 सीट मिली थीं, लेकिन इस बार 25.91 प्रतिशत मत मिलने के बावजूद बसपा की सीटों की संख्या मात्र 80 रह गई हैं।
कांग्रेस के वोट 3.02 प्रतिशत बढ़ने के बावजूद सीटों का आंकड़ा केवल 22 से 28 तक पहुंचा है। पिछली बार 8.61 प्रतिशत लेने वाली कांग्रेस को 11.63 प्रतिशत वोट मिले हैं। बसपा के बाद सबसे ज्यादा घाटा भाजपा का हुआ है। भाजपा को वोट प्रतिशत 2007 में 15 प्रतिशत की तुलना में इस बार 1.97 प्रतिशत गिरकर केवल 15 प्रतिशत रह गया है। भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी नंबर-3 और नंबर-4 पर ज्यादा रहे। भाजपा 110 सीटों पर नंबर -3 और 123 पर नंबर-4 पर रही। इसी तरह कांग्रेस 87 क्षेत्रों में तीसरे और 122 में चौथे स्थान पर रही।