मंत्रियों पर माया का 'इमोशनल अत्याचार'
अभय देओल अभिनित फिल्म 'देव डी' का मशहूर गाना "तौबा तेरा जलवा...तौबा तेरा प्यार... तेरा इमोशनल अत्याचार" आज कल उत्तर प्रदेश के सियासत में सटीक बैठता है। मतलब ये कि कल तक सूबे की मुखिया मायावती के दुलारे रहे मंत्री आज उनके इमोशनल अत्याचार के शिकार हो रहे हैं। पिछले पांच सालों तक वफादार रहने वाले मंत्री आज माया की आंखों की किरकिरी बन गये हैं। माया अपने ऑपरेशन क्लीन के तहत अबतक 13 मंत्रियों को पार्टी से बर्खास्त कर चुकी हैं।
पांच सालों तक भौकाल और तामझाम मेंटेन कर जनता के बीच आने वाले मंत्रियों की बर्खास्गी पर नजर डालें तो इसमें ड्रामा, एक्शन, ट्रेजडी और क्लाइमेक्स के साथ ही साथ मायावती की फिरकापरस्ती भी नजर आती है। माया ने जिन मंत्रियों को बर्खास्त किया है वह आज फूट-फूट कर रो रहे हैं। कारण सिर्फ यही नहीं कि माया ने उन्हें मंत्री पद से हटाया है कारण तो यह भी है कि माया ने उन्हें चुनावी टिकट ना देने का भी ऐलान कर दिया है। नेता जी का रोना दूसरी पार्टियों को अपनी ओर खींचने का महज एक ड्रामा है।
उदाहरण के तौर पर बीते 25 दिसंबर को अवधेश कुमार वर्मा को कल्याण विभाग के मंत्री पद से हटा दिया गया था। सोमवार को वह जैसे ही अपने समर्थकों के बीच आये फूट-फूटकर रोने लगे। नतीजा सबके सामने है। भाजपा ने आज उन्हें अपनी पार्टी से ददरौल विधानसभा सीट से प्रत्याशित घोषित कर दिया है। एक्शन की बात करें तो रोते रोते वर्मा ने अपने समर्थकों के बीच बेहतरीन एक्टिंग की और कहा कि मौत से पहले भी लोगों से उनकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है मगर मुझसे तो मेरा कसूर भी नहीं पूछा गया। वर्मा ने कहा कि मैने पांच साल तक पार्टी के साथ वफादारी की और आज बहन जी ने मुझे उसका बेहतरीन इनाम दिया है।
इस एक्शन का भी रिजल्ट फौरन मिल गया। समर्थकों ने "वर्मा तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं" जैसे नारे लगा दिये और चुनाव लड़ने की हरी झंडी दे दी। यह ट्रेजडी सिर्फ अवधेश वर्मा के साथ ही नहीं कई मंत्रियों के साथ हो चुकी है। 30 दिसंबर को वन मंत्री रहे फतेह बहादुर सिंह को मंत्री पद से हटाया गया तो वह भी अपने समर्थकों के बीच रो पड़े। गोरखपुर जिले के कैम्पियरगंज के अपने आवास पर अपने समर्थकों को उन्होंने आगामी रणनीति के लिए बुला रखा था। समर्थकों के बीच आते ही वह रो पडे़, उनका कहना था कि उन्हें बिना कारण हटाया गया है।
आपको बताते चलें कि वन मंत्री रहे फतेह बहादुर सिंह और कल्याण विभाग के मंत्री अवधेश कुमार वर्मा के साथ ही साथ प्राविधिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सदल प्रसाद, अल्पसंख्यक कल्याण एवं हज राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनीस अहमद खां उर्फ फूलबाबू, मुस्लिम वक्फ राज्यमंत्री शहजिल इस्लाम अंसारी, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अकबर हुसैन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के राज्यमंत्री यशपाल सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री राकेशधर त्रिपाठी, कृषि शिक्षा मंत्री राजपाल त्यागी, होमगार्ड विभाग के राज्यमंत्री हरिओम, परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, स्वास्थ्य मंत्री अनन्त कुमार मिश्र, धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री राजेश त्रिपाठी, माध्यमिक शिक्षामंत्री रंगनाथ मिश्र, दुग्ध विकास राज्यमंत्री अवधपाल सिंह यादव, श्रममंत्री बादशाह सिंह, अंबेडकर गांव विकास मंत्री रतनलाल अहीरवार, नरेश अग्रवाल और गुड्डू पंडित को मायावती ने बर्खास्त किया है। इनमें 13 के पास मंत्रालय थी और वह इस बार के चुनाव के कुशल प्रत्याशित घोषित किये जा चुके थे।
ऐसे में माया के इस मतलबी तेवर का क्लाइमेक्स देखना बेहद दिलचस्प होगा कि उनका यह इमोशनल अत्याचार उन्हें किस राह पर ले जाता है? उन्हें सत्ता मिलती है कि इस बार उन्हें सीएम की कुर्सी से हाथ धोना पड़ता है। देश के प्रधानमंत्री पद की खुद को दावेदार बताने वाली सूबे की मुखिया का तानाशाह रूख इस बार के चुनावी दंगल में क्या गुल खिलाता है इस के लिए बस आपको 4 मार्च तक का इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि उसी दिन चुनावी नतीजे लोगों के सामने होंगे।