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भ्रष्‍टाचार के खिलाफ भड़ास या अन्‍ना हजारे का समर्थन

By गुरमेल सिंह
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We are supporting Anna or opposing Corruption?
बेंगलूरु। राजू को पैदा हुए अभी 3 दिन ही हुए थे कि वह भ्रष्‍टाचार का शिकार हो गया। उसके मम्‍मी-पापा उसका बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए नगर निगम गए थे। बाकायदा इसके लिए 200 रुपए की फीस भी जमा कर दी। इसके बावजूद भी उसका सर्टिफिकेट नहीं बन पा रहा था। हैरान होकर राजू के पापा ने पूछा साहब कितना टाइम लगेगा। साहब बोले टाइम न पूछो ये पूछो साहब कितना रोकड़ा लगेगा। झट से डिमांड कर दी 500 रुपए की। इसके बाद मामला 250 रुपए पर निपटा। 450 रुपए में राजू का बर्थ सर्टिफिकेट बन गया।

इसके बाद उसके मम्‍मी-पापा कई बार अस्‍पताल में उसे इंजेक्‍शन लगवाने के लिए लेकर गए। मुफ्त में लगने वाले इंजेक्‍शन के भी हर बार 10 या 20 रुपए लग ही जाते। लगातार राजू भ्रष्‍टाचार का शिकार हो रहा था। राजू 4 साल का हो गया। अब उसके पापा उसका एडमिशन कराने के लिए स्‍कूल ले गए। यहां भी उन्‍हें डोनेशन के लिए काफी पैसा देना पड़ा। ये पैसा कैपिटेशन फीस के नाम पर राजू के पापा ने स्‍कूल वालों को दिया।

स्‍कूल के बाद जब राजू कॉलेज पहुंचा तो उसे वहां भी डोनेशन देना पड़ा। 18 साल के हो चुके राजू ने सोचा कि वह ड्राइविंग लाइसेंस बनवा ले। इसके लिए भी उसे रिश्‍वत देनी पड़ी। ले देकर ड्राइविंग लाइसेंस बन गया। शहर में बाइक भगाते राजू को कई बार पुलिस वालें ने रोका और चालान करने का डरावा देकर हर बार 100 या 50 रुपए देकर छोड़ दिया। इस टाइम तक राजू ने खुद को भ्रष्‍टाचार का एक हिस्‍सा मान लिया था। उसे यह अहसास हो गया था कि यह हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्‍सा है।

इसके बाद जब राजू की शादी हुई तो उसने भी उसी तरह भ्रष्‍टाचार का सामना किया जैसे उसके पापा ने किया था। राशन कार्ड बनवाना हो तो रिश्‍वत दो। मकान की रजिस्‍ट्री करवानी हो तो पैसा दो। राजू भी इसका विरोध नहीं कर पाया क्‍योंकि उसके दिमाग में शुरू से यह भर दिया गया था कि इंडिया में कोई काम करवाना है तो रिश्‍वत तो देनी ही पड़ेगी।

ये राजू कोई और नहीं है। ये हम सबकी कहानी है। जो भ्रष्‍टाचार से बुरी तरह परेशान है। ये राजू एक बेटे के रूप में एक बाप के रूप में रिश्‍वत देता आया है। कई पीढि़यां गुजर गई लेकिन राजू रिश्‍वत देने को मजबूर रहा। कहीं से कोई उम्‍मीद नहीं थी कि कैसे इस बीमारी से बाहर निकला जाए। हर कोई गांधी जी को याद करता था। आखिर गांधी जी ने सुन ही ली।

आ गए फिर हम सबके बीच बुराईयों के खिलाफ अहिंसा के साथ संघष करने के लिए। उन्‍होंने अपना नाम इस बार अन्‍ना हजारे रख लिया। जमाना बदल गया लेकिन उनका विरोध करने का तरीका नहीं बदला। विरोध भी वैसे ही झुक गए जैसे अंग्रेज झुक गए थे। लोगों ने जैसे गुलामी से मुक्ति पाने के लिए गांधी जी के साथ मिलकर संघर्ष किया था। उसी तरह इस समय लोगों ने भ्रष्‍टाचार से मुक्ति पाने के लिए अन्‍ना हजारे के साथ एक जंग लड़ी।

न उस समय किसी ने गांधी जी का साथ दिया था न आज कोई अन्‍ना हजारे का साथ दे रहा है। हमें दोनों ही मौकों पर ऐसे नायक मिले हैं जिन्‍होंने हमारी मुश्किलों को समझा है। इसीलिए हम उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल निकले हैं। उस समय आजादी हमारी सबसे बड़ी जरूरत थी। इसीलिए लोग गांधी जी के साथ लाठियां खाने के लिए तैयार हो गए। इस समय भ्रष्‍टाचार मिटाना हमारे देश के विकास के लिए बहुत जरूरी हो गया है। इस‍ीलिए हम अन्‍ना हजारे के आंदोलन के साथ आ खड़े हुए हैं। अगर हम इसमें कामयाब होते हैं तो यह हमारी जीत होगी। जिसके नायक अन्‍ना हजारे होंगे जैसे आजादी के नायक गांधी जी थे। अन्‍ना जी को सलाम।

राजू एक ऐसा किरदार है जो हम सबमें छिपा हुआ है। जो भ्रष्‍टाचार का शिकार है। जो आज अन्‍ना हजारे और लोकपाल बिल का विरोध कर रहे हैं उनमें से ज्‍यादातर को लोकपाल बिल की जानाकरी नहीं है। लेकिन उनको इतना पता है कि वे भ्रष्‍टाचार का विरोध कर रहे हैं जिससे वे बहुत परेशान हैं।

Comments
English summary
Anna Hazare got Nation wide support against corruption like Gandhi ji did at freedom time. People protesting against corruption or supporting Anna Hazare.
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