मजबूत लोकपाल बिल के लिए 7 जरूरी बातें
संसद के भीतर जनता को रिप्रजेंट करने वाले सांसदों से अब इस मामले पर जवाब मांगे जा रहे हैं। हमारे साथी नागरिक ने इस मामले की जिम्मेदारी उठाई जिसको वे जिम्मेदारी से निभा रहे हैं। इतना साफ है कि भ्रष्टाचार खराब और बेपरवाह प्रशासन की देन है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है "भ्रष्टाचार मानव अधिकारों के उल्लंघन का सबसे बुरा रूप है" खराब संचालन की वजह से एक के बाद एक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भ्रष्टाचार की वजह से नहीं मिल पा रहा है। खराब संचालन की वजह से हर तरफ भ्रष्टाचार का ही बोलबाला हो गया है।
इस समय ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकार को अपने काम करने के तरीके को बदलना चाहिए। जिससे सराकर सार्वजनिक धन दौलत पर अपनी जवाबदेही तय कर सके। हमारे ज्यादातर सराकरी संस्थान लंबे समय से राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण शोषण का शिकार होते रहे हैं। इन संस्थानों को राजनीतिक शोषण से उबारने की जरूरत है। जिस तरह से न्यायपालिका और सीएजी ने देश का गौरव बढ़ाया है, उसी तरह हमारे बाकी संस्थानों को आजादी और जिम्मेदारी से काम करने की जरूरत है।
जिस लोकपाल की हम चर्चा कर रहे हैं वह एसा संस्थान है जो हमारे अंदर के विश्वास को बढ़ाएगा और हमें जिम्मेदारी का अहसास कराएगा। सरकारी लोकपाल बिल और जनलोकपाल बिल पर बिना मतलब की बहस चल रही है। इसकी जगह अगर इसकी जरूरतों की बात करें तो सही जनलोकपा बिल के लिए निम्न शर्तें जरूरी हैं। एक विश्वसनीय लोकपाल संस्था के लिए आवश्यकताओं हैं:
1. लोकपाल बिल स्वतंत्र होना चाहिए।
2. लोकपाल के पास हर तरह की जांच की ताकत होनी चाहिए।
3. लोकपाल के पास पर्याप्त संसाधन होने चाहिए।
4. लोकपाल को गोपनीयता सुनिश्चित करनी चाहिए।
5. लोकपाल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की छूट होनी चाहिए।
6. लोकपाल पेशेवर होना चाहिए.
7. लोकपाल संवैधानिक संगत होना चाहिए.
अगर हम ऊपर दिए 7 मापदंड लागू करते हैं तो जनलोकपाल एक मजबूत संवैधानिक संस्था बन जाएगा। मजबूत कानून भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे अच्छा हथियार है। यह सही है कि जनलोकपाल बिल को संवैधानिक मूल्यों पर परखने की जरूरत है। संसद के लिए यह बेहतरीन मौका है कि वह जिनका प्रतिनिधित्व करती है वह उनकी बतों का जवाब दें।