फर्जी मुठभेड़ करने वाले पुलिस फांसी के हकदार: सुप्रीम कोर्ट
पुलिस की फर्जी मुठभेड़ों पर न्यायमूर्ति काटजू ने पहली बार ऐसी तीखी टिप्पणी नहीं की है। इससे पहले भी महाराष्ट्र के एक मामले में उन्होंने ऐसी घटनाओं को सोची-समझी हत्याएं करार दिया था और अपराधी को फांसी की सजा दिए जाने की बात कही थी। मालूम हो कि 23 अक्टूबर, 2006 को राजस्थान पुलिस के स्पेशल आपरेशंस ग्रुप ने इनामी बदमाश दारा सिंह को मुठभेड़ में मार गिराया था।
पुलिस का कहना था कि दारा सिंह हिरासत से भागने की कोशिश कर रहा था और उसी दौरान मुठभेड़ में उसकी मौत हुई। दारा सिंह की पत्नी सुशीला देवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उसे फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने का आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ इस मामले की जांच कर रही है और 16 अभियुक्तों के खिलाफ जयपुर की अदालत में आरोपपत्र भी दाखिल कर चुकी है। सोलह में से दस अभियुक्त जेल में हैं और छह भगोड़ा घोषित हैं। भगोड़ा अभियुक्तों में राजस्थान पुलिस के पूर्व अतिरिक्त डीजीपी एके जैन एवं पूर्व एसपी अरशद अली भी शामिल हैं।