बिहार सरकार के सामने नक्सलियों ने रखी शर्त (लीड-1)
नक्सलियों ने सरकार से 36 घंटे के अंदर उनके आठ साथियों केा सरकार रिहा करने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो चारों पुलिसकर्मियों को मार दिया जाएगा। नक्सलियों ने सात पुलिसकर्मियों को मार देने तथा अपने एक साथी के भी मारे जाने बात स्वीकारी है। दूसरी ओर पुलिस की ओर से 10 जवानों के मारे जाने की पुष्टि की गई है।
प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के मुंगेर-जमुई-लखीसराय जोन के स्वयंभू प्रवक्ता अविनाश ने एक स्थानीय चैनल के संवाददाता को फोन पर बताया, "रविवार को लखीसराय जिले के कजरा थाना क्षेत्र मे लोगों ने पुलिस दल पर हमला कर सात पुलिसकर्मियों को मार दिया। इस घटना हमने अपने अपने एक साथी रतन यादव को भी खोया है। पुलिस से 35 हथियार भी लूटे गए।"
अविनाश ने दावा किया है कि राज्य के दो पुलिस निरीक्षक (एसआई) और दो बिहार सैन्य बल (बीएमपी) के जवान कब्जे में हैं। सरकार को चेतावनी देते हुए उसने कहा कि बुधवार की शाम चार बजे तक उनके आठ साथियों को छोड़ दें नहीं तो चारों पुलिसकर्मियों को मार दिया जाएगा। इन आठ नक्सलियों में जय पासवान, विजय चौरसिया, प्रेम भुइयां तथा प्रमोद बरनवाल जैसे कुख्यात नाम भी शामिल हैं। ये सभी नक्सली राज्य के विभिन्न जेलों में बंद हैं।
उसने दावा किया कि हमले में घायल कुछ जवानों का उनके लोगों ने प्राथमिक उपचार भी किया है तथा बाद में उन्हें वहां से भेज दिया। अभी उनकी किसी भी पुलिस अधिकारी से इस मामले में कोई बात नहीं हुई है। अविनाश ने इस बात का भी खंडन किया कि एक व्यक्ति के अलावा नक्सलियों की ओर से और कोई हताहत हुआ है।
अविनाश ने कहा, "पुलिसकर्मियों पर हमला आजाद और पत्रकार (हेमचंद पांडे) के फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने का बदला लेने के लिए किया गया है। पिछले दिनों जमुई में हमारे आठ लोगों के मारे जाने का भी यह बदला था।"
उल्लेखनीय है कि मुंगेर-लखीसराय जिला के सीमा क्षेत्र में रविवार को पुलिस नक्सलियों के खिलाफ छापामारी अभियान चला रही थी और उसी दौरान शीतलकोरानी जंगल में पुलिस को देख नक्सलियों ने गोलीबारी आरंभ कर दी। इसके बाद हुई मुठभ्ेाड़ में 10 पुलिस जवानों के शहीद हो गए। बताया गया है कि अभी कुछ जवान लापता भी हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।