सांसदों की वेतन वृद्धि लोकसभा में ध्वनिमत से पारित
नई दिल्ली। संसदीय मामलों के मंत्री पवन कुमार बंसल ने विधेयक को लोकसभा में शुक्रवार को पेश किया। सांसदों के वेतन में 3 गुना और भत्तों में 2 गुना वृद्धि करने के लिए पेश किए गए एक विधेयक को लोकसभा ने अपनी मंजूरी दे दी। विधेयक को ऐसे समय में मंजूरी दी गई है, जब मीडिया और जनता ने वेतन वृद्धि के इस तरीके की तीखी आलोचना की है। इसके अलावा जनता महंगाई की मार से लगभग 1 साल से परेशान है। बहरहाल, इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
विधेयक के अनुसार सांसदों का वेतन अब 16,000 रुपये से बढ़ा कर 50,000 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा संसद सत्र में हिस्सा लेने और संसदीय समितियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दैनिक भत्ते को 1000 रुपये से बढ़ा कर 2000 रुपये कर दिया गया है। साथ ही संसदीय क्षेत्र के लिए निर्धारित 20,000 रुपये प्रति महीने के भत्ते को और कार्यालयी खर्च संबंधी भत्ते को भी बढ़ा कर अलग-अलग 45,000 रुपये कर दिया गया है। विधेयक के अनुसार सांसदों का यात्रा भत्ता अब 1 लाख रुपये से बढ़ा कर 4 लाख रुपये कर दिया गया है।
सांसद वेतन-भत्ता अधिनियम-1954 में संशोधन करने वाले इस विधेयक को अब राज्यसभा में पारित किया जाना है। उसके बाद यह बढ़ोतरी लागू हो जाएगी। विधेयक में पूर्व सांसदों का पेंशन भी 8000 रुपये से बढ़ा कर 20000 रुपये कर दिया गया है। यह बढ़ोतरी मौजूदा लोकसभा के प्रारंभ से लागू होगी। यानी सांसदों को मई 2009 से बकाए का भुगतान प्राप्त होगा।
कुछ सांसदों ने मीडिया और जनता की आलोचना के मद्देनजर सुझाव दिया कि कोई ऐसा प्रावधान किया जाए कि जब सांसद सदन की कार्यवाही स्थगित करने को बाध्य कर दें, तो उनका उस दिन का वेतन काट लिया जाए। भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि इस मुद्दे के लिए एक स्वतंत्र प्रक्रिया होनी चाहिए कि वेतन में कितनी बढ़ोतरी की आवश्यकता है। जनता दल (युनाइटेड) ने आडवाणी के विचार का समर्थन किया और कहा कि भविष्य में इस तरह की कोई प्रक्रिया विकसित की जानी चाहिए।
बंसल ने कहा, "सांसदों के साथ व्यापक चर्चा के बाद इस तरह की कोई प्रक्रिया स्थापित की जाएगी।" राजद नेता लालू प्रसाद ने एक विरोधाभासी विचार सामने रखा। उन्होंने कहा कि संविधान ने सांसदों को अधिकार दिया है कि वे अपना वेतन खुद से तय करें और हम वही काम कर रहे हैं। कांग्रेस के संजय निरूपम ने कहा कि वह विधेयक का समर्थन करते हैं, लेकिन संसदों का उस दिन का वेतन काट लिया जाना चाहिए, जिस दिन उनकी वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ जाए।