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'भगवा आतंकवाद' पर चिदम्बरम ने चेताया, कश्मीर में संयम के निर्देश (राउंडअप)

By Neha Nautiyal
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राज्यों के पुलिस महानिदेशकों व पुलिस महानिरीक्षकों के तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए चिदंबरम ने बुधवार को यह बातें कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि नक्सलियों ने सरकार की वार्ता की पेशकश का विश्वसनीय जवाब नहीं दिया है। उन्होंने स्वीकार किया कि नक्सली हिंसा पर काबू पाने में वर्षो लगेंगे।

इस 45वें सम्मेलन में चिदम्बरम ने कहा, "मैं आपको आगाह करना चाहता हूं कि देश के युवक और युवतियों में कट्टरवाद जगाने की कोशिश की जा रही है।"

उन्होंने कहा कि हाल ही में भगवा आतंकवाद की प्रवृत्ति देखने को मिली है। बम विस्फोटों की कई घटनाएं इसी ओर इशारा करती हैं। "मेरी सलाह है कि हमें सतर्क रहना होगा और राज्य एवं केन्द्रीय स्तर पर आतंकवाद से निपटने की क्षमता विकसित करते रहना होगा।"

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चिदंबरम के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार अपनी नाकामियों से जनता का ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है।

भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा, "देश में इस समय काफी उथल-पुथल भरा दौर है। चिदम्बरम को उस ओर से देश का ध्यान बंटाने के लिए बहाने की जरूरत है।"

उन्होंने सरकार पर हिंदुओं को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता

जम्मू एवं कश्मीर में जारी हिंसा के दौर का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा, "हम इस बात से चिंतित हैं कि राज्य आज जिस कुचक्र में फंसा हुआ है, उससे हम उसे निकाल पाने में सफल नहीं रहे हैं। इसके बावजूद सुरक्षा बलों को वहां अधिक से अधिक संयम बरतने के निर्देश दिए गए हैं।"

उन्होंने कहा, "मुझे भय है कि जम्मू एवं कश्मीर अब पथराव, लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोलों और गोलीबारी से होने वाली मौतों और इसके जवाब में और पथराव की एक श्रृंखला से घिर गया है।"

"मुझे विश्वास है कि अगले कुछ दिनों में ऐसी स्थिति तक पहुंचने में सफल होंगे, जहां से हम प्रदर्शनकारियों तक पहुंच सकेंगे और उन्हें उनके अधिकारों और गरिमा के प्रति आश्वस्त कर शांति तथा कानून-व्यवस्था बहाल कर वार्ता की प्रक्रिया फिर शुरू करेंगे, जिससे एक हल निकलेगा।"

नक्सल समस्या पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि नक्सलियों के साथ संघर्ष लंबा खिंच सकता है और इस संघर्ष को सुलझाने में धैर्य बहुत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, "हमने राज्यों से नवम्बर 2009 में ही स्पष्ट कर दिया था कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) पर नियंत्रण करने और उनके हमलों को रोकने में वर्षो लगेंगे।"

चिदम्बरम ने कहा, "मेरे विचार से भले ही हमारी आलोचना करने वाले न समझें लेकिन देश की जनता यह समझती है कि नक्सलियों से लंबा संघर्ष चलेगा और इसमें धर्य महत्वूपर्ण होगा।"

चिदम्बरम ने पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए केन्द्रीय अनुदान राज्य सरकारों को देने की बजाए सीधे पुलिस प्रमुखों को देने का सुझाव भी दिया। उनके इस सुझाव को राज्य सरकारों द्वारा पसंद न किए जाने की संभावना है।

उन्होंने कहा, "हमें पुलिस बलों का आधुनिकीकरण (एमपीएस) योजना के तहत अनुदान भेजने की एक प्रणाली तैयार करनी चाहिए।"

महज महीना भर पहले 54वीं राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने राज्य की व्यवस्थापिकाओं को नजरदांज करते हुए विभिन्न एजेंसियों को सीधे अनुदान भेजने की केन्द्र सरकार की बढ़ती प्रवृत्ति के प्रति विरोध जाहिर किया था।

चिदम्बरम ने पुलिस प्रमुखों से जानना चाहा, "क्या उनकी राज्य सरकार एमपीएफ में जरूरी 25 फीसदी योगदान दे रही है? " उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि आप लोगों को बताएंगे कि आपकी राज्य सरकार ने सही मायनों में पुलिस के लिए आवंटन बढ़ाया है या नहीं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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