धूमल ने केन्द्र से 3000 करोड़ रुपये मांगे
इसके साथ ही आगामी वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान विशेष योजना सहायता के तौर पर 1500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को राज्य की वित्तीय देनदारियों को पूरा करने के लिए एक पत्र लिख कर यह आग्रह किया है।
धूमल ने कहा कि छठे वेतन आयोग की संस्तुतियों को कार्यान्वित करने के परिणामस्वरूप प्रथम जनवरी, 2006 से 31 अगस्त, 2009 तक कर्मचारियों एवं पेंशनरों को वेतन एवं पेंशन की बकाया राशि के भुगतान के लिए राज्य पर 2200 करोड़ रुपये से अधिक की प्रतिबद्घ देनदारियां हैं।
उन्होंने कहा कि 13वें वित्त आयोग ने राज्य में वेतन, पैंशन एवं ब्याज देनदारियों को कम करके आंका है। उन्होंने कहा कि इन देनदारियों को कम आंकने पर केवल वर्ष 2010-11 में ही यह अनुमान 861 करोड़ रुपये बनता है। उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष में वेतन बजट अनुमान तथा 13वें वित्त आयोग द्वारा आंके गए वेतन अनुमान में ही 617 करोड़ रुपये का अंतर है।
उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा वर्ष 2011-12 में वर्ष 2010-11 के अनुसार वेतन व्यय की वृद्घि में केवल 2़ 27 प्रतिशत की संस्तुति की गई है, जबकि प्रदेश सरकार द्वारा पहले ही अपने कर्मचारियों को 8 प्रतिशत मंहगाई भत्ते की किस्त जारी की जा चुकी है, जो कि कर्मचारियों को मिलने वाली वार्षिक वेतनवृद्घि के अतिरिक्त है।
प्रो़ धूमल ने कहा कि प्रदेश सरकार अपनी प्रतिबद्घ देनदारियों के दृष्टिगत आगामी वित्त वर्ष 2011-12 की वार्षिक योजना के प्रारूप बनाने में घाटे में रहेगी। उन्होंने कहा कि सभी स्थितियों के दृष्टिगत योजना आयोग ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत राज्य के लिए 13,778 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2007-08 तथा वर्ष 2008-09 के दौरान राज्य का वास्तविक योजना व्यय क्रमश: 2,036 करोड़ रुपये तथा 2,310 करोड़ रुपये तथा वर्ष 2009-10 के लिए वैकल्पिक योजना अनुमान व्यय 2,759 करोड़ रुपये है जबकि वर्ष 2010-11 के लिए योजना आकार पहले से ही 3,000 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि स्पष्ट है कि 13,778 करोड़ रुपये की 11वीं पंचवर्षीय योजना के वास्तविक योजना आकार को प्राप्त करने के लिए वर्ष 2011-12 के लिए योजना आकार 3,578 करोड़ रुपये होगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।