दिल्ली की अदालतों में 5,000 वैवाहिक मामले लंबित
नई दिल्ली, 17 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली की विभिन्न अदालतों में 1995 से 5,000 से भी ज्यादा वैवाहिक मामले लंबित हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह खुलासा हुआ है।
न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायाधीश मनमोहन ने केंद्र व दिल्ली सरकारों को जनहित याचिका पर एक नोटिस जारी कर हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दर्ज किए गए इन मामलों को शीघ्र निपटाने के आदेश दिए हैं।
याचिका में कहा गया है कि सरकार वैवाहिक जीवन में कलह, तलाक और अन्य संबंधी मामलों के निपटारे के लिए विशेष अदालतें गठित करने में असफल रही है जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न जिला अदालतों में बड़ी संख्या में इस तरह के मामले लंबित हैं।
दिल्ली में कुल आठ जिला अदालतें हैं जो कानून के तहत मामलों पर सुनवाई करती हैं और 1995 से इन अदालतों में 4,687 मामले लंबित हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि अकेले दिल्ली उच्च न्यायालय में ही ऐसे 369 मामले लंबित हैं। याचिकाकर्ता ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत इस मामले में जानकारी इकट्ठी की थी।
इस साल मई तक उच्च न्यायालय में 846 नए मामले दायर हुए हैं, इनमें से 609 में निपटारा कर दिया गया है।
उच्च न्यायालय द्वारा 11 अगस्त को स्वीकृत की गई याचिका में कहा गया था कि इन मामलों की सुनवाई में हो रही देरी की वजह यह है कि अदालतों में अन्य प्रकार के मामलों की संख्या भी बहुत ज्यादा है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि अदालत आपसी सहमति से तलाक लेने वाले व्यक्तियों को छह महीने का समय देती है, जिस दौरान वे रिश्तेदारों व मित्रों से अपने इस फैसले पर विचार-विमर्श कर अपनी राय बदल भी सकते हैं लेकिन इस समय के खत्म हो जाने के बाद भी अंतिम निर्णय के लिए अदालत उन्हें लंबी तारीखें देती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।