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संप्रग सरकार की नीतियां अमीरों की पक्षधर : करात (लीड-1)

By Staff
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विजयवाड़ा में पार्टी की केंद्रीय समिति की हो रही बैठक के उद्घाटन भाषण में करात ने कहा, "कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की नीतियां बड़े व्यापारियों को सर्वाधिक मुनाफा कमाने और संसाधनों को अमीरों तथा ताकतवर लोगों के हाथों में पहुंचाने में मदद के लिए तैयार की जा रही हैं।"

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की राजकोषीय और कर नीतियों से यह बहुत स्पष्ट प्रदर्शित होता है।

उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार ऊंची विकास दर हासिल करने के बारे में दावा करती है। जीडीपी वृद्धि दर को लोगों की प्रगति और विकास के एक भरोसेमंद सूचकांक के तौर पर लिया जाता है लेकिन यह सच नहीं है।

माकपा नेता ने कहा कि नव उदारवादी नीतियों से पूंजी का संचय, पूंजी में अत्यधिक वृद्धि और संपत्ति का कुछ हाथों में केंद्रण बढ़ता है। देश में डॉलर अरबपतियों की संख्या वर्ष 2004 के नौ से बढ़कर इस वर्ष 49 हो गई है। निश्चित तौर पर सर्वाधिक धनी लोगों की प्रगति हुई है।

करात ने कहा कि खाद्य पदार्थो और अन्य आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती महंगाई का भार आम लोगों पर पड़ा है। लाखों लोग रोज भूखे रहते हैं। आय और संपत्ति में असमानता बढ़ रही है। देश में दुनिया के सर्वाधिक गरीब लोगों की संख्या के साथ ही दुनिया के कुछ सर्वाधिक धनी लोगों का होना संदेहजनक विरोधाभास है।

केंद्र सरकार पर कश्मीर समस्या को हल करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए माकपा ने कहा कि समस्याग्रस्त राज्य के लिए वह 'अधिकतम स्वायत्तता' का समर्थन करती है। पार्टी ने कहा कि कश्मीर की समस्याओं को परंपरागत तरीकों से नहीं सुलझाया जा सकता।

करात ने कश्मीर का विशेष तौर पर उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को हल करने में विफल रही है और कश्मीरी युवाओं में अलगाव की भावना उभार पर है।

उन्होंने कहा कि इसका हल केवल तभी पाया जा सकता है जब यह स्वीकार किया जाए कि कश्मीर समस्या का हल परंपरागत उपायों से नहीं निकाला जा सकता है। कश्मीर के लोगों को आश्वस्त करना होगा कि उनकी पहचान और विशेष दर्जा एक नए राजनीतिक ढांचे से अभिव्यक्त होगी जिसके मूल में अधिकतम स्वायत्तता होगी।

कश्मीर में पिछले दो महीने से जारी विरोध प्रदर्शनों और हिंसा का उल्लेख करते हुए करात ने कहा कि पुलिस गोलीबारी में काफी अधिक युवा पुरुषों और महिलाओं का मारा जाना दुखद है।

उन्होंने कहा कि तीन हफ्तों में करीब 50 नागरिकों की मौत ने भारतीय शासन के प्रति युवाओं में मौजूद अलगाव की भावना को सामने ला दिया है। टकरावों और मौतों की श्रृंखला को रोका जाना चाहिए।

करात ने कहा कि केंद्र सरकार को घाटी के सभी वर्गो से तुरंत वार्ता की पहल करनी चाहिए।

करात ने आरोप लगाया कि रेल मंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और नक्सली मिलकर काम कर रहे हैं और माकपा के 250 के कार्यकर्ताओं की हत्या टीएमसी-नक्सली 'गिरोह' ने की है।

करात ने कहा कि माकपा द्वारा नव-उदारवादी नीतियों व अमेरिकी साम्राज्यवाद से रणनीतिक गठजोड़ के निरंतर विरोध से शासक वर्ग में नाराजगी पैदा हो गई है।

उन्होंने कहा कि हमले माकपा और पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चा सरकार के खिलाफ केंद्रित हैं।

करात ने कहा, "माकपा के 250 से अधिक कार्यकर्ताओं की हत्या टीएमसी-नक्सली गिरोह ने की है। टीएमसी केंद्र सरकार का हिस्सा है। पश्चिम बंगाल में लोकतांत्रिक अधिकारों पर ऐसे हमले और हिंसा अधिनायकवादी प्रवृत्ति का संकेत हैं जो पूरे देश के लिए खराब संकेत है।"

करात ने कहा कि माकपा कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहे नक्सलियों का शातिर और लोकतंत्र विरोधी चेहरा सामने आ गया है।

करात ने कहा कि वे यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने आम लोगों पर भी हमला किया। यह ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस की दुर्घटना से साफ हो गया। ऐसे कामों से बुद्धिजीवियों के एक तबके में नक्सलियों के बारे में फैला भ्रम दूर हो जाना चाहिए।

करात ने पश्चिम बंगाल और केरल की वाम मोर्चा सरकारों को जनता का खोया हुआ विश्वास पुन: हासिल करने के लिए कड़ा प्रयास करने को कहा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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