अदालत ने गरीब छात्रों की सहायता बढ़ाने को कहा
नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को बेहतर सुविधाएं देने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए सरकार को उनकी किताबों और वर्दी के लिए दी जानी वाली रकम की समीक्षा करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा, "गरीब समुदाय के छात्र अन्य छात्रों को मिलने वाली सुविधाओं के हकदार हैं।"
न्यायालय ने एक निजी स्कूल के खिलाफ मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। स्कूल पर आरोप था कि उसने गरीब बच्चों द्वारा किताबों और वर्दी पर किए गए खर्च की वापसी नहीं की।
अदालत ने कहा कि गरीब बच्चे भी स्कूल में उपलब्ध समान किताब पढ़ने के अधिकारी हैं अन्यथा वे अन्य छात्रों के साथ मुकाबला नहीं कर सकेंगे। अदालत ने स्कूल को तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया।
एक अभिभावक ने न्यायालय से कहा कि कक्षा 10 और छह में पढ़ने वाले उसके दो बच्चों को गर्मियों की वर्दी और मुफ्त किताबें नहीं दी गई।
स्कूल के वकील ने न्यायालय को बताया कि स्कूल कक्षा 10 के याचिकाकर्ता छात्र पर 2,151 रुपये और छह के छात्र पर 3,355 रुपये वार्षिक व्यय कर सकता है।
वकील ने कहा कि ग्रीष्मकालीन वर्दी का मूल्य 1500 रुपये है लेकिन सरकार वर्दी पर 500 रुपये से अधिक सब्सिडी नहीं दे रही है। सरकार कक्षा 10 के छात्र की किताबों के लिए 600 रुपये और कक्षा छह के छात्र की किताबों पर 244 रुपये सब्सिडी देती है।
अदालत ने दिल्ली सरकार को गरीब छात्रों को मिलने वाली सब्सिडी की समीक्षा करने का निर्देश दिया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।