नीतीश, शिवराज ने केंद्र के भेदभाव की शिकायत की
दोनों मुख्यमंत्रियों ने "गठबंधन सरकारें और तेज विकास" विषय पर जागरण फोरम द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में यह कहा।
दोनों मुख्यमंत्रियों ने सरकारी खर्च पर एक साथ लोकसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव कराने पर जोर देते कहा कि विधायिकाओं का कार्यकाल निश्चित होना चाहिए।
नीतीश ने कहा कि केंद्र सरकार ने बुंदेलखंड के लिए पैकेज दिया लेकिन कोसी की वर्ष 2008 की बाढ़ में काफी अधिक लोगों के प्रभावित होने के बावजूद वहां ऐसा नहीं किया।
नीतीश ने कहा, "बुंदेलखंड को पैकेज मिलने से मैं बहुत खुश हूं। पर कोसी की बाढ़ से लाखों लोगों के घर नष्ट हो गए। उन्हें घरों को बनाने के लिए मदद नहीं चाहिए?"
उन्होंने कहा कि बाढ़ के पानी के साथ बालू से इलाके की भूमि खराब होने से खेती नष्ट हो गई। क्या उनको वैकल्पिक खेती शुरू करने के लिए मदद नहीं चाहिए?
नीतीश ने कहा कि पूरे देश को एक नजर से देखा जाना चाहिए। बिना किसी भेदभाव के काम होना चाहिए।
चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार को माहेश्वर बांध परियोजना की मंजूरी के लिए बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, "यह परियोजना करीब-करीब पूरी हो गई है लेकिन इसे रोक दिया गया। यह ठीक नहीं है।"
चौहान ने कहा कि राज्य की 48 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है। उन्होंने केंद्र सरकार से शिक्षा के अधिकार कानून को लागू करने के लिए कोष उपलब्ध कराने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "इस कानून को लागू करने के लिए पहले वर्ष में ही राज्य को 13,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। पैसा कहां आएगा?"
चौहान ने कहा कि नक्सली समस्या केवल कानून और व्यवस्था की समस्या नहीं है और जनजातियों तथा समाज के पिछड़े वर्गो के बीच पैदा हुई अलगाव की भावना को दूर किए जाने की आवश्यकता है।
विधायिका के सभी स्तरों पर एक साथ चुनाव कराने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को देश के एक या दूसरे हिस्से में चुनाव के लिए हर समय तैयार रहना पड़ता है। इससे प्रशासन और दीर्घकालिक योजना प्रभावित होती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।