क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

आ गई कसाब के फैसले की घड़ी (लीड-1)

By Staff
Google Oneindia News

मुंबई, 2 मई (आईएएनएस)। मुंबई पर वर्ष 2008 में हुए आतंकवादी हमले के दौरान एकमात्र जीवित पकड़ा गया आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को ठीक 521 दिन बाद तीन मई यानी सोमवार को सजा सुनाई जाएगी। इससे ठीक एक दिन पहले इस हमले में शहीद हुए लोगों के परिजनों व पीड़ितों ने कसाब को सरेआम फांसी दिए जाने की मांग की।

विशेष न्यायाधीश एम. एल. ताहिलयानी सोमवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाएंगे। मुंबई में लगभग 60 घंटे तक 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच चले संघर्ष में 166 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 244 घायल हो गए थे।

इन 10 आतंकवादियों में से नौ को मार गिराया गया था जबकि कसाब को जिंदा पकड़ने में सुरक्षाबलों को सफलता मिली थी। आतंकवादियों ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्थित वर्ल्ड हैरिटेज बिल्डिंग, ताजमहल पैलेस, टॉवर होटल, होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट, कामा हॉस्पिटल और चाबड हाउस को निशाना बनाया था।

मुंबई हमले में मारे गए लोगों के परिजनों व पीड़ितों का कहना है कि कसाब पर किसी भी प्रकार की दया दिखाने की जरूरत नहीं है। उसे तो सरेआम फांसी पर लटकाया जाना चाहिए।

साठ वर्षीय मोहम्मद हनीफ पीर मोहम्मद का भी यही मानना है। वह कहते हैं, "उन आतंकवादियों ने मेरे बहनोई की हत्या की थी। कसाब को तो छोड़ा नहीं जाना चाहिए। उसे तो सरेआम फांसी होनी चाहिए।"

ताजमहल पैलेस पर हुए हमले के दौरान बाल-बाल बचीं 71 वर्षीय इंदु मनसुखानी कहती हैं कि कसाब को आजीवन कारावास की सजा देने का कोई मतलब नहीं है। "वह हत्यारा है। उस पर दया दिखाने की आवश्यकता नहीं है।"

इन पीड़ितों को तीन मई यानी सोमवार का इंतजार है। इसी दिन कसाब को सजा सुनाई जानी है।

आतंकवाद निरोधी दस्ते के प्रमुख शहीद हेमंत करकरे की विधवा कविता करकरे ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "देखते हैं, अदालत क्या फैसला सुनाती है। उसके बाद ही मैं आपसे बात करूंगी।"

कई पीड़ितों का तो यहां तक कहना है कि कसाब को फांसी दी जानी चाहिए और उसका सीधा प्रसारण किया जाना चाहिए।

लियोपोर्ल्ड कैफे पर हमले में बचे भरत गुज्जर कसाब को जिंदा रखे जाने के बिल्कुल खिलाफ हैं। वह कहते हैं, "मैंने सुना है कि पाकिस्तानी सरकार ने कसाब को अपनी हिरासत में रखने की मांग की है। यदि यह हो गया तो वह बच जाएगा। आजीवन कैद की सजा भी उसके लिए कम होगी।"

शहीद रेलवे अधिकारी सुशील कुमार शर्मा की विधवा रागिनी एस. शर्मा कहती हैं, "कसाब को कड़े से कड़ा दंड मिलना चाहिए। उसे इस बात का अहसास कराया जना चाहिए कि उसके कृत्यों ने हमारे प्रियजनों की जान ले ली। उसे सरेआम फांसी होनी चाहिए।"

हमले में शहीद सहायक उपनिरीक्षक बालासाहब भोंसले के बेटे दीपक भोंसले ने कहा कि उन्हें खुशी है कि न्याय मिलने का दिन नजदीक आ गया है।

"यद्यपि 17 महीने गुजर गए है, लेकिन खुशी है कि न्याय मिलने की घड़ी नजदीक आ गई है। उसने कई निर्दोष लोगों की जान ली है। उसे फांसी होनी चाहिए।"

कसाब पर चल रहे आपराधिक मुकदमों की सुनवाई इसी साल 31 मार्च को पूरी हुई थी। विशेष लोक अभियोजक उज्जवल निकम ने अभियोजन पक्ष का नेतृत्व किया। इस दौरान 653 गवाह प्रस्तुत किए गए और 675 पृष्ठों का दस्तावेज पेश किया गया।

गत वर्ष जुलाई में कसाब फिर सुर्खियों में छाया रहा जब उसने 26/11 हमलों के अपराध को स्वीकार कर लिया था। कसाब ने अदालत में कहा था, "कृपया मुझे फांसी दे दो। मैंने अपराध किया है। मुझे सजा मिलनी चाहिए। मुझे भगवान से नहीं लोगों की ओर से सजा मिलनी चाहिए। यदि किसी को लगता है कि मैं मौत की सजा से बचने के लिए अपने अपराध स्वीकार कर रहा हूं तो अदालत मुझे फांसी दे सकती है।"

बाद में हालांकि कसाब ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में अपने इस मामले की सुनवाई की मांग की थी। उसने कहा था कि उसे भारतीय अदालतों पर विश्वास नहीं है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X