उल्फा ने शांति की पहल को खारिज किया
उल्फा के स्वयंभू कमांडर इन चीफ परेश बरुआ ने ईमेल बयान में कहा, "संप्रभुता या स्वतंत्रता की मांग से समझौता करने का सवाल ही नहीं उठता है। हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि सिटिजन्स फोरम ने शांति वार्ता के लिए कैसे सोच लिया।"
बरुआ ने कहा, "हम स्वतंत्रता के बिना किसी प्रकार की वार्ता की पहल को स्वीकार नहीं करेंगे।"
गौरतलब है कि 11 अप्रैल को नागरिक संगठन 'सिटिजन्स फोरम' ने दावा किया था कि उल्फा नेतृत्व शांति वार्ता के लिए सामने आएगा। इस 11 सदस्यीय फोरम में लेखक, पूर्व पुलिस अधिकारी, शिक्षाविद् और अधिकार मामलों के लिए काम करने वाले नेता शामिल हैं।
सरकार को उल्फा के बीच शांति वार्ता आरंभ करने के लिए इस फोरम का गठन महीने की शुरुआत में किया गया था। फोरम के संयोजक और प्रसिद्ध शिक्षाविद् हिरेन गोहानी ने दावा किया था कि उल्फा नेतृत्व बातचीत के लिए तैयार है।
फोरम के दावे को खारिज करते हुए बरुआ ने कहा, "हम यह नहीं चाहते हैं कि बुद्धिजीवी औपनिवेशिक शासकों के इशारे पर काम करें।"
उल्फा के उपाध्यक्ष प्रदीप गोगोई और प्रचार मामलों के प्रमुख मिथिंगा दाइमेरी द्वारा असम में लोगों से मुलाकात करने और शांति प्रक्रिया में सहायता करने की अपील करने के बाद फोरम का गठन किया गया था।
गत माह गुवाहाटी की एक अदालत से जमानत मिलने के बाद गोगोई और दाइमेरी को न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया गया था। फोरम 24 अप्रैल को राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।