शिक्षा सुधार के लिए विश्व बैंक से ऋण
बैंक ने कहा कि शिक्षा लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है। खासकर प्राथमिक शिक्षा के लिए किए गए उसके प्रयास सराहनीय हैं। इसके साथ ही बैंक ने सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के लिए अतिरिक्त सहायता देने की घोषणा की।
एसएसए के लिए बैंक 2003 से 1.1 अरब डॉलर की राशि मुहैया करा चुका है।
भारत में विश्व बैंक के निदेशक रोबटरे जाघा ने कहा, "शिक्षा के क्षेत्र में एसएसए विश्व का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दिलाने के मामले में यह बेहद सफल रहा है।"
सफलता का अंदाजा इसी आंकड़े से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2003 में प्राथमिक शिक्षा के लिए 5.7 करोड़ बच्चों का नामांकन था जो वर्ष 2009 में बढ़कर 19.2 करोड़ हो गया। इसमें से दो तिहाई नामांकन सरकारी स्कूलों में हुआ।
इस समयावधि में स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या 2.5 करोड़ से घटकर 81 लाख रह गई।
विश्व बैंक ने 75 करोड़ डॉलर की राशि द्वितीय प्राथमिक शिक्षा परियोजना के लिए स्वीकृत की है। इसके तहत एसएसए अपने कार्यक्रम में विस्तार करके प्राथमिक स्तर से ऊपर (पांचवी से आठवीं) की शिक्षा पर ध्यान देगा।
बैंक 30 करोड़ डॉलर की राशि द्वितीय तकनीकी/इंजीनियरिंग शिक्षा गुणवत्ता सुधार परियोजना (टीईक्यूआईपी) के लिए जारी करेगा। इसके तहत उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने और योग्य इंजीनियरों को तैयार करने के लिए 200 इंजीनियरिंग संस्थाओं को चिह्न्ति किया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।