महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित
लगभग तीन घंटे से भी अधिक समय तक चली बहस के बाद यह विधेयक दो तिहाई बहुमत से राज्यसभा में पारित हुआ। मतदान में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने हिस्सा नहीं लिया। जनता दल (युनाइटेड) ने विधेयक का समर्थन किया। वह इससे पहले तक विधेयक का विरोध कर रही थी।
सदन के लिए यादगार दिन रहा: पीएम
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस अवसर पर कहा कि महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में चली अब तक की यात्रा का आज एक यादगार दिन है। उन्होंने कहा, "महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक उत्थान की दिशा में कई प्रयास किए गए इसके बावजूद महिलाएं इस विकास से वंचित रहीं। घर पर ही उनके साथ भेदभाव किया जाता है। घरेलू हिंसा होती है। शिक्षा व स्वास्थ्य के मामले में भी महिलाएं पिछड़ी हुई हैं। यह खत्म होना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक विकास की पहचान को सुदृढ़ करने के लिए यह विधेयक आवश्यक है। "इस विधेयक का समर्थन करने वाले सभी राजनीतिक दलों और इसके नेताओं तथा सदन के सभी सदस्यों का मैं धन्यवाद करता हूं। आपके सहयोग के बगैर यह संभव नहीं था।" उन्होंने कहा महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में आज का यह कदम मील का पत्थर साबित होगा। इसकी शुरुआत उस वक्त हुई थी, जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मतदान की आयुसीमा घटाकर 18 वर्ष की थी।
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प्रधानमंत्री ने कहा, "यह महिलाओं को सम्मान है। देश की महान महिला नेत्रियों कस्तूरबा, गांधी, सरोजनी नायडू, एनी बेसेंट, विजय लक्ष्मी पंडित और इंदिरा गांधी आदि के बलिदानों को यह छोटी सी श्रद्धांजलि है।" प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर गीता मुखर्जी को भी याद किया।
इस आरक्षण विधेयक में अल्पसंख्यक और पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए अलग से प्रावधान किए जाने की कुछ राजनीतिक दलों की मांग का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं मानता हूं कि समाज के इन वर्गो तक उनके हिस्से का विकास नहीं पहुंच पाया है। हमारी सरकार उन तक विकास पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए अन्य उपायों का अपना रही है। इसकी प्रक्रिया भी आरंभ हो चुकी है। यह विधेयक अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विरोधी नहीं है। यह महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में अगला कदम है। यह ऐतिहासिक और लीक से हटकर है।"