दयानन्द ने जाति प्रथा के मूल को खोज निकाला था

By Staff
Google Oneindia News

गंगाप्रसाद उपाध्याय

नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। महात्मा गौतम बुद्ध ने सर्वप्रथम जाति-प्रथा के विरुद्ध आवाज उठाई। यह 2500 वर्ष पूर्व की बात है। बाद की उन दो या तीन शताब्दियों में, जबकि बौद्ध धर्म का भारत में प्रभुत्व स्थापित हो गया, तब भी हम उस काल में जाति-प्रथा या अस्पृश्यता के पूर्णतया उन्मूलन का कोई चिह्न् नहीं पाते।

संभव है भावना कुछ काल के लिए दबा दी गई हो, परन्तु वह इतनी गहरी कभी नहीं गाड़ दी गई कि पुन: अपना सिर न उठा सके। स्वामी दयानन्द के समय में यह अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी और उन्होंने भी इस समस्या की ओर अत्यन्त गंभीरता से ध्यान दिया।

परन्तु स्वामी दयानन्द तथा अन्य सुधारकों में स्पष्ट अंतर है। स्वामी दयानन्द भारतीय हैं और उनका विचार करने का ढंग भी पूर्णतया भारतीय है। उनके रोग का निदान और उसे दूर करने का उपाय भी भिन्न है। रोग देशज है और उन्होंने उपाय भी स्वदेशी ही निर्धारित किए हैं।

स्वामी दयानंद तीक्ष्ण दृष्टिवाले थे। उन्होंने बुराई को देखा और उसके कारण को भी जान लिया। उन्होंने जाति-प्रथा को उसके मूल से खोज निकाला और बुराई(दोष)कहां है, उसे खोजने का प्रयास किया। उन्हें वैदिक शास्त्रों से ज्ञात हुआ कि जिन चार वर्णो का उनमें वर्णन है, वे गुण-कर्मानुसार समाज का प्राकृतिक विभाजन है और आजकल जो हजारों जातियां या उपजातियां (लगभग 3000) पाई जाती हैं, उनका वर्णो के साथ कुछ भी संबंध नहीं है।

स्वामी दयानन्द के अनुसार इस वर्ण व्यवस्था का सबसे बड़ा दोष यह है कि वैदिक ज्ञान के अभाव में, विभाजन गुणों की श्रेष्ठता एवं योग्यता की अपेक्षा त्रुटिपूर्ण ढंग से जन्म के आधार पर किया गया। एक ब्राह्मण का पुत्र ब्राह्मण भी हो सकता है और नहीं भी। क्योंकि वह ब्राह्मण नहीं जोकि समाज का मस्तिष्क है, बल्कि जो समाज के लिए मस्तिष्क की भूमिका निभाता है, वह ब्राह्मण कहलाने योग्य है।

इसी प्रकार क्षत्रिय, समाज की भुजा नहीं है, बल्कि जो भी समाज की भुजा के समान कार्य करता है वह क्षत्रिय है: वैश्य समाज की जंघा (मध्यम भाग)नहीं हैं, वरन् जो लोग समाज के मध्यम भाग का कार्य करते हैं, वे वैश्य कहलाने योग्य हैं। शूद्र भी समाज के पैर नहीं हैं परन्तु वे लोग जो कि गुण और कार्य के अनुसार निम्नतम स्तर पर हैं, वे ही शूद्र कहलाने योग्य हैं।

स्वामी दयानन्द और आधुनिक सुधारकों में यह अंतर है कि दूसरे तो वर्ण-व्यवस्था को ही समाप्त कर देना चाहते हैं, जबकि स्वामी जी समस्त उपजातियों को समाप्त कर, गुण-कर्म के आधार पर चार भागों में विभाजन करके समाज की पुन: व्यवस्था करना चाहते हैं।

इसका तात्पर्य यह है कि स्वामी दयानन्द जाति व वर्ण को परिवर्तनशील मानते हैं। इसमें संदेह नहीं कि वर्तमानकाल में, जाति-प्रथा की जड़ें हिल चुकी हैं। प्रश्न यह है कि इसका श्रेय किसको जाना चाहिए? लोगों के विचार में राजनैतिक परिवर्तन इसके लिए उत्तरदायी हैं। ऐसा हो सकता है। प्ररन्तु जन्म के आधार पर जातियों के विरुद्ध और गुण-कर्मानुसार वर्ण-व्यवस्था के समर्थन में स्वामी दयानन्द द्वारा चलाए गए अभियान में एक अपनी सुंदरता है: यह हिन्दू धर्म और प्राचीन हिन्दू धर्मग्रन्थों के प्रति हमारे विश्वास को अक्षुण्ण रखता है।

गौतम बुद्ध ने भी जाति-प्रथा के विरुद्ध अवाज उठाई थी, परन्तु हिन्दुओं को उनकी शास्त्र विरुद्ध नीति अस्वीकार्य होने से जब वैदिक धर्म, पुराणवाद के रूप में पुन: स्थापित हुआ, तो जाति-प्रथा की बुराई भी लौट आई। परन्तु वे लोग जो सतह के नीचे कार्यरत सूक्ष्म शक्तियों को देख सकते हैं उनका अनुभव यह है कि हिन्दुत्व को एक व्यापक धार्मिक आधार देने की और प्राचीन रूपरेखा को अक्षुण्ण रखते हुए, इसमें एकत्र हो गए मल को साफ करने की आवश्यकता है।

स्वामी दयानन्द का भी यह विचार है। उनकी योजना के अनुसार समाज का चार प्रकार का विभाजन बना रहता है और अस्पृश्यता तथा उसके साथ की बहुत सी बुराइयां समाप्त हो जाती हैं। वे प्रतियोगिता के सभी अवसर सभी के लिए खोल देते हैं। शिक्षा पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाते।

उनके अनुसार प्रत्येक बालक व बालिका को शिक्षा प्राप्त करने और श्रेष्ठ बनाने का जन्मसिद्ध अधिकार है। परन्तु उनका कथन यह नहीं है कि सब मनुष्य चाहे अच्छे या बुरे, बुद्धिमान या मूर्ख, विद्धान या अनपढ़ बराबर हैं।

वर्ण -व्यवस्था में अस्पृश्यता का कोई स्थान नहीं है। खान-पान के प्रतिबंध भी समाप्त हो जाते हैं, क्योंकि खाना बनाना ब्राह्म्ण का काम नहीं, शूद्र का है। कदाचित्, आर्यसमाजियों ने ही सबसे पहले खाना बनाने और खाना परोसने के स्वेच्छाचारी नियमों को छोड़कर अंतर्जातीय भोज प्रारंभ किए।

(सरस्वती प्रकाशन, देहरादून से प्रकाशित पुस्तक 'हिन्दुत्व के रक्षक महर्षि दयानन्द' से साभार)।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X